Monday, September 12, 2022

काव्य के भेद (Types of kavya)

 

            काव्य के दो भेद होते हैं – 1. श्रव्य काव्य (सुना जानेवाला या पढ़ा जानेवाला काव्य) 2. दृश्य काव्य ( दृश्य आदि के द्वारा रसास्वादन किया जानेवाला काव्य) । नाटकएकांकी आदि दृश्य काव्य के अंतर्गत आते हैं। दृश्य काव्य का अभिनय रंगमंच पर किया जाता है और उसे देखने से उसका पूरा रसास्वादन होता है। श्रव्य काव्य के काव्य के दो भेद होते हैं- श्रव्य काव्य के दो भेद होते हैं- प्रबंध काव्य और मुक्तक काव्य प्रबन्ध काव्य में कोई धारावाहिक कहानी होती है अर्थात किसी कथायुक्त काव्य को प्रबन्ध काव्य कहा जाता है। इसमें किसी घटना या क्रिया का काव्यात्मक वर्णन होता है। जयशंकरप्रसाद द्वारा रचित कामायनी इसका अच्छा उदाहरण है। मुक्तक काव्यकाव्य का वह रूप है जिसमें पद तो कई हो सकते हैं लेकिन उन पदों का एक-दूसरे से कोई संबंध नहीं होता। सभी स्वयं में ही पूर्ण होते हैं। उदाहरणार्थ - महाकवि बिहारी की बिहारी सतसई 

प्रबन्ध काव्य के दो भेद होते हैं- (1) महाकाव्य  (2) खण्डकाव्य

महाकाव्य (Epic)

           महाकाव्य प्रायः लंबे कथानक पर आधारित होता है। यह कई सर्गों में विभाजित होता हैजिसमें एक लोकप्रिय नायक के चरित्र-विधान के साथ-साथ कई अन्य पात्रों का चरित्र-चित्रण समावेशित होता है। इसमें लोकादर्शउदात्त शैली एवं रचना संबंधी युग के संपूर्ण सामाजिक परिवेश का चित्रण होता है। अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔधके काव्य प्रियप्रवास’, जायसीकृत पद्मावत’, तुलसीकृत श्रीरामचरितमानस’, प्रसादकृत कामायनी’, मैथिलीशरण गुप्तकृत साकेत’ हिन्दी के मुख्य महाकाव्य हैं। वर्तमानकाल में महाकाव्य के प्राचीन प्रतिमानों में परिवर्तन आया है। वर्तमान समय में महाकाव्य का विषय कोई लोकप्रिय नायक-विशेष न होकर घटना या समाज का कोई भी व्यक्ति हो सकता है। 

खण्डकाव्य (Khandakavya)

            जब किसी लोकनायक के जीवन के किसी एक अंश या खंड पर आधारित काव्य की रचना की जाती है तो उसे खण्डकाव्य कहा जाता है। इसकी रचना महाकाव्य की शैली पर ही की जाती है। जहाँ एक ओर महाकाव्य में संपूर्ण जीवनवृत्त पर प्रकाश डाला जाता हैवहीं दूसरी ओर खण्डकाव्य में जीवन के किसी एक पक्ष को चित्रित किया जाता है। यहाँ एक बात विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि खण्डकाव्य महाकाव्य का संक्षिप्त रूप नहीं है। जयद्रथवध’, ‘रश्मिरथी’, ‘सुदामा चरित्र’, ‘द्वापर' आदि खण्डकाव्य के उदाहरण हैं।

मुक्तक काव्य (Muktakkavya)

          मुक्तक रचनाओं को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। प्रथमतः गेय रचनाएँ जिनके अन्तर्गत सूरमीराकबीर आदि के पद आते हैं और द्वितीयतः विभिन्न विषयों पर लिखी गई छोटी-छोटी विचारप्रधान रचनाएँजैसे – तारसप्तक की रचनाएँपंत की पतझड़निराला जी की भिक्षु’, ‘वह तोड़ती पत्थर’ आदि।

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