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Saturday, September 10, 2022

भोजपुरी भाषा का साहित्य (Bhojpuri language literature)

 

भोजपुरी साहित्य का प्रबंध इतिहास प्रस्तुत करना सरल कार्य नहीं है इस संबंध में सबसे बड़ी कठिनाई यह है कि इसका लिखित रूप बहुत कम उपलब्ध है भोजपुरी साहित्य की मौखिक परंपरा लोकगीतों तथा लोक कथाओं के रूप में आज भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है और इसका संकलन करके इसके साहित्य के विशाल भवन का निर्माण किया जा सकता है किंतु यह तो भविष्य का कार्य है। इधर भोजपुरी भाषा के क्षेत्र में शोध कार्य करने वाले सभी विद्वानों विम्स, ग्रियर्सन, हॉर्नले, सुनीति कुमार ने यह स्वीकार किया है कि भोजपुरी में साहित्य का अभाव है

लेकिन वर्तमान समय में भोजपुरी में बहुत सारी पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित हुई हैं भोजपुरी भाषा क्षेत्र में काम करने वाले सभी विद्वानों ने एक स्वर में यह स्वीकार किया है कि भोजपुरी में शिष्ट तथा लिखित साहित्य का अभाव है, परंतु इसका तात्पर्य यह नहीं कि इसकी कोई स्वतंत्र साहित्यिक परंपरा ही नहीं रही है

केवल लिखित साहित्य ही किसी भाषा या बोली की साहित्यिक परंपरा का मानदंड नहीं हो सकता भोजपुरी जैसे विशाल भू-भाग की भाषा है वैसे ही इसका लोक साहित्य विशाल है जिसकी मौखिक परंपरा लोकगीतों तथा लोक-कथाओं के रूप में आज भी प्रचुर मात्रा में विद्दमान है। सर्वप्रथम भोजपुरी में बगसर समाचार नाम से पत्रिका प्रकाशित हुई

वर्तमान समय में भोजपुरी की पत्रिकाएं अंजोर, भिनसहरा भोजपुर संवाद, भोजपुरी संवाद पत्रिका, भोजपुरी चबूतरा, भोजपुरी जनपद, भोजपुरी कहानियां, भोजपुरी माटी, भोजपुरी संसार, भोजपुरी वार्ता, भोजपुरी विश्व, वीर भोजपुरिया, भोजपुरिया अमन, भोजपुरी संसद, भोर भिनसार, भोरहरी, बिपना, भोजपुरी पंचायत गांव जवार, हमार बोल, विभोर, पाती, टटका राह, द संडे इंडियन, हेलो भोजपुरी, समकालीन भोजपुरी साहित्य, भोजपुरी सम्मेलन पत्रिका, परीछन, निर्भीक संदेश, ललकार, कविता, पनघट, सनेस, झंकोर, बिगुल, भोजपुरी सिटी, हालचाल, भोजपुरी जीनगी, कृषक, गांव-घर, पुरवइया, भोजपुरी साहित्य, लुकार, भोजपुरी लोक, खोईछा, उड़ान, हमार इंडिया, भोजपुरी वानी, भोजपुरी दर्शन, भोजपुरी संस्कार, भोर, दुलारी बहीन, लाल माटी, माई, महाभोजपुर, समाचार बिंदु, स्वतंत्र दस्तक, पूर्वाकुर, आंखर, मैना, उरेह, भोजपुरी मंथन, शब्दिता आदि प्रमुख हैं।

Wednesday, September 7, 2022

भोजपुरी की बोलियां या विभाषाएं (Dialect or Sub-Dialect of Bhojpuri language )

 

डॉक्टर ग्रियर्सन ने भोजपुरी को चार भागों में विभक्त किया है; यह विभाग हैं- उत्तरी, दक्षिणी, पश्चिमी तथा नगपुरिया मघेसी और थारू इसकी दो उपबोलियां हैं उत्तरी भोजपुरी घाघरा नदी के उत्तर में बोली जाती है; इसकी दो विभाषाएँ हैं- 1. सरवरिया 2. गोरखपुरी यदि गंडक नदी के साथ एक रेखा नेपाल सीमा तक और वहां से गोरखपुर शहर के कुछ मील पूर्व से होते हुए बरहज तक खींची जाए तो इसके पश्चिम सरवरिया तथा पूर्व गोरखपुरी भोजपुरी का क्षेत्र होगा

सोनपुर नदी के दक्षिण नागपुरिया भोजपुरी बोली जाती है उत्तरी तथा नागपुरिया भोजपुरी के बीच में ही दक्षिणी तथा पश्चिमी भोजपुरी का क्षेत्र है यदि बरहज से गाजीपुर शहर तक और वहां से सोन नदी तक रेखा खींची जाए तो इसके पूर्व दक्षिणी भोजपुरी तथा पश्चिम पश्चिमी भोजपुरी का क्षेत्र होगा दक्षिणी भोजपुरी ही वास्तव में आदर्श भोजपुरी है, इसका क्षेत्र शाहाबाद, सारण, बलिया, पूर्वी देवरिया तथा पूर्वी गाजीपुर है पश्चिमी गाजीपुर, आजमगढ़, बनारस, मिर्जापुर तथा जौनपुर के कुछ भागों में पश्चिमी भोजपुरी बोली जाती है रांची और प्लामू जिले में भोजपुरी बोली जाती है उसे नागपुरिया कहते हैं

पलामू की उत्तरी सीमा पर दक्षिणी आदर्श भोजपुरी ही प्रचलित है लेकिन पलामू के शेष हिस्सों में तथा समस्त रांची जिले में यह विकृत रूप में बोली जाती है मघेशी चंपारण जिले की बोली है, जहां भोजपुरी मैथिली से मिलती है वहां की भाषा में दोनों भाषाओं के प्रभाव मिलते हैं आज चंपारण के अधिकांश भाग की भाषा भोजपुरी है पलामू के उत्तरी पूर्वी हिस्सों में भोजपुरी गया और हजारीबाग की मगही से मिलती है नेपाल की तराई में रहने वाली थारू नामक जाति है वह जिस आर्य भाषा को बोलते हैं उसे भोजपुरी का एक भेद बतलाया गया है इस जाति के लोग हिमालय की तराई के पूरा में जलपाईगुड़ी से लेकर पश्चिम में कुमाऊं भावर तक पाए जाते हैं

संदर्भ : 

  • भोजपुरी भाषा और साहित्य - तिवारी उदयनारायण 
  • मानक भोजपुरी भाषा - डॉ. जयकांत सिंह 
  • आधुनिक भोजपुरी भाषा के विकास के कुछ पक्ष - रामबख्स मिश्र

Saturday, September 3, 2022

भोजपुरी भाषा का क्षेत्र विस्तार (Expansion/Area of Bhojpuri language)

 

भोजपुरी भाषा के क्षेत्र विस्तार की बात की जाए तो यह देखा जा सकता है कि वर्तमान समय में भोजपुरी भाषा का विस्तार बहुत तेजी से हो रहा है। भोजपुरी भाषा केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व में भी प्रसिद्ध हो रही है। दिन-प्रतिदिन भोजपुरी बोलने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। यदि अपने देश से इतर बात करें तो यह नेपाल, मॉरीशस, फिजी, टिनीडाड, गुयाना, जमैका, वर्मा आदि देशों में बहुतायत में बोली जाती है। इनके अलावा जिन भी देशों में भोजपुरी भाषी बसे हुए हैं, वे आपसी व्यवहारिक प्रयोग में भोजपुरी का ही प्रयोग करते हैं जिससे भोजपुरी का विकास सतत हो रहा है 

शिक्षा की दुनिया से लेकर लोक सांस्कृतिक, लोकनृत्य, भोजपुरी सिनेमा जगत, नौटंकी आदि क्षेत्रों में भोजपुरी की प्रसिद्धि बढ़ती जा रही है। हिंदी फिल्मों के साथ-साथ दक्षिण भारत के फिल्मों के हिंदी अनुवाद में भी भोजपुरी भाषा के प्रयोग का उदहारण आपको सरलता से देखने को मिल सकता है 

भोजपुरी भाषा की भौगोलिक क्षेत्र को देखा जाए तो भोजपुरी भाषा भारत के पांच राज्यों की मुख्य भाषा के रूप में बोली जाती है। जहां संवैधानिक रूप से राज्यों का कार्य भोजपुरी भाषा में नहीं होता है लेकिन व्यावहारिक रूप में भोजपुरी भाषा का प्रयोग इन मुख्य पांच राज्यों द्वारा किया जाता है। वे पांच राज्य निम्न हैं- बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और मध्य प्रदेश। इन राज्यों के अलावा देश के प्रत्येक राज्यों में जहाँ भी भोजपुरी भाषी बसे हुए हैं। वे आपसी व्यवहार में भोजपुरी का ही प्रयोग करते रहते हैं। देखा जाए तो इन पांच राज्यों में सबसे ज्यादा बिहार और उत्तर प्रदेश दो राज्यों में बहुतायत मात्रा में भोजपुरी बोली जाती है। 

बिहार में भोजपुरी बोले जाने वाले जिलों का मानचित्र  –


भारत के बिहार राज्य के भोजपुर, बक्सर, भभुआ, रोहतास, सारण, सिवान, गोपालगंज, पूर्वी चम्पारन, पश्चिमी चम्पारन, मुजफ्फरपुर के पश्चिमी क्षेत्र तथा राँची और पलामू के अधिकांश क्षेत्र के अंतर्गत भोजपुरी भाषा का प्रचलन है अर्थात् बोली जाती है। 

उत्तर प्रदेश में भोजपुरी बोले जाने वाले जिलों का मानचित्र  –



उत्तर प्रदेश के बलिया, गाजीपुर, देवरिया, गोरखपुर, बस्ती, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र आदि जिले में भोजपुरी भाषा बोली जाती है। छत्तीसगढ़ के जसपुर, विलासपुर, सरगुजा आदि क्षेत्रों में भोजपुरी भाषा बोली जाती है।

भाषा वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर देखें तो भोजपुरी भाषा का क्षेत्र इतने बड़े भू-भाग में प्रचलित है। इतने बड़े भू-भाग में बोले जाने कारण क्षेत्रगत रूप स्तर पर विभिन्नताएं देखने को मिलती हैं।

डॉ. ग्रियसन ने भोजपुरी के कुछ भाषाई क्षेत्र “बिहार राज्य के आरा तथा उत्तर प्रदेश के बलिया, देवरिया तथा गाजीपुर के पूर्वी क्षेत्र तथा घाघरा एवं गंडक के दोवाब” को मानक भाषा माना है।


संदर्भ सूची :

  • भोजपुरी भाषा और साहित्य - तिवारी उदयनारायण 
  • मानक भोजपुरी भाषा - डॉ. जयकांत सिंह 
  • आधुनिक भोजपुरी भाषा के विकास के कुछ पक्ष - रामबख्स मिश्र 



Wednesday, August 17, 2022

भोजपुरी भाषा की उत्पत्ति/ भोजपुरी भाषा की लिपि (Origin of Bhojpuri Language/Bhojpuri language script)

 

भोजपुरी भाषा की उत्पत्ति मागधी अपभ्रंश से हुई है। यह बिहारी हिंदी के अंतर्गत आती है। अर्द्ध मागधी अपभ्रंश से पूर्वी हिंदी, शौरसेनी अपभ्रंश से पश्चिमी हिंदी की उत्पत्ति हुई है। बता दें कि भोजपुरी भाषा का इतिहास 7वीं सदी से शुरू होता है। यह भाषा 1000 से अधिक साल पुरानी है। गुरु गोरख नाथ ने 1100 वर्ष में गोरख बानी लिखा था। संत कबीरदास 1398 का जन्मदिवस भोजपुरी दिवस के रूप में भारत में स्वीकार किया गया है और विश्व भोजपुरी दिवस के रूप में मनाया जाता है। मध्य काल में ‘भोजपुर’ नामक एक स्थान में मध्य प्रदेश के उज्जैन से आए ‘भोजवंशी’ राजाओं ने एक गाँव बसाया था। इसे उन्होंने राजधानी बनाया और इसके ‘राजा भोज’ के कारण इस स्थान का नाम ‘भोजपुर’ पड़ गया। इसी नाम के कारण यहाँ बोले जाने वाली भाषा का नाम भी ‘भोजपुरी’ पड़ गया।

भोजपूरी को पहले ब्राह्मी लिपि से उत्पन्न कैथी नामक एक ऐतिहासिक लिपि में लिखा जाता था। इसे "कयथी" या "कायस्थी", के नाम से भी जाना जाता है। यह देवनागरी लिपि से मिलती-जुलती लिपि है। सोलहवीं सदी में इसका बहुत अधिक उपयोग किया जाता था। मुग़लों के शासन काल के दौरान भी इसका काफी उपयोग किया जाता था। अंग्रेजों ने इस लिपि का आधिकारिक रूप से बिहार के न्यायालयों में उपयोग किया। अंग्रेजों के समय से इसका उपयोग धीरे-धीरे कम होने लगा था। बाद में इस लिपि के स्थान में देवनागरी लिपि का उपयोग होने लगा।




एक यह भी मान्यता है कि भोजपुरी की उत्पत्ति संस्कृत से हुई, आचार्य हवलदार त्रिपाठी ‘सह्यदय’ लंबे शोध कार्य करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि भोजपुरी की उत्पत्ति संस्कृत से हुई है। उन्होंने अपने कोश-ग्रंथ “व्युत्पत्ति मूलक भोजपुरी की धातु और क्रियाएं” में केवल सात सौ इकसठ (761) धातुओं की खोज की है, जो ‘ढ़’ वर्ण तक विस्तारित हैं। इस ग्रंथ के अध्ययन से ज्ञात होता है कि सात सौ इकसठ (761) पदों की मूल धातु की वैज्ञानिक निर्माण प्रक्रिया में पाणिनि सूत्र का अक्षरशः पालन किया गया है। इस कोश-ग्रंथ में वर्णित विषय पर दृष्टिपात करने पर भोजपुरी और संस्कृत भाषा के बीच समानता स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। दरअसल, भोजपुरी भाषा संस्कृत भाषा और संस्कृत की तरह वैज्ञानिक भाषा के काफी करीब है। भोजपुरी भाषा के मुहावरों और क्रियाओं का प्रयोग विषय को और स्पष्ट करता है। प्रामाणिकता की दृष्टि से संस्कृत व्याकरण को भी साथ-साथ प्रस्तुत किया गया। इस पुस्तक की विशेषता यह है कि भोजपुरी भाषा की धातुओं और क्रियाओं की व्युत्पत्ति का स्रोत संस्कृत भाषा और इसके मानक व्याकरण से लिया गया है। देखा जाए तो हिंदी भाषा की उत्पत्ति संस्कृत से हुई है और हिंदी भाषा, भोजपुरी भाषा से काफी मिलती-जुलती है इसलिए यह मान्यता सही हो सकती है  

Sunday, August 14, 2022

भोजपुरी भाषा का इतिहास

 

भोजपुरी हिंदी भाषा की एक बोली है भारत देश के उत्तर प्रदेश और बिहार के अतिरिक्त अन्य प्रदेशों में भी भोजपुरी बोली जाती है इसका विस्तार उत्तर प्रदेश और बिहार से अन्य प्रदेशों में जाने वाले लोगों से है भोजपुरी भाषाई परिवार के स्तर पर एक आर्य भाषा है और यह मुख्य रूप से पश्चिमी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बोली जाती है, तथा इसके साथ-साथ उत्तरी झारखंड के क्षेत्रों में भी बोली जाती है भोजपुरी भाषा अपनी शब्दावली के लिए मुख्य रूप से संस्कृत और हिंदी भाषा पर निर्भर है और इसके साथ-साथ यह उर्दू भाषा के कुछ शब्दों को भी ग्रहण की है

बिहारी बोलियों का विस्तृत व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक अध्ययन डॉक्टर ग्रियर्सन ने ‘सेवेनग्रामर्स आफ दी डायरेक्टस एंड सब डायरेक्ट्स ऑफ द बिहारी लैंग्वेज’ के रूप में उपस्थित किया बिहारी बोलियों का यह सर्वप्रथम विस्तृत अध्ययन हैये सात व्याकरण सन 1883 ई० से 1887 ई० तक प्रकाशित हुए जो बिहार के सभी प्रमुख बोलियों तथा उपबोलियों का अध्ययन प्रस्तुत करते हैं

इस भाषा को बोलने वाले लोगों का विस्तार विश्व के सभी महाद्वीपों पर है जिसका कारण यह है कि ब्रिटिश शासन के दौरान उत्तर भारत से अंग्रेजों द्वारा ले जाए गए मजदूर हैं जिनके वंशज जहां उनके पूर्वज गए थे वहीं बस गए। इनमें सूरीनाम, गुवाना, त्रिनिदादटोबेगो और फिजी आदि देश प्रमुख हैं बिहारी बोलियों का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन सर्वप्रथम एच.बीम्स पीपर ने प्रारंभ किया था इन्होंने भोजपुरी के संबंध में सर्वप्रथम एक निबंध ‘नोट्स ऑन दी भोजपुरी डायलेक्ट आफ हिंदी स्पोकन इन वेस्टर्न बिहार’ नामक शीर्षक से लिखा था जो रॉयल एशियाटिक सोसाइटी लंदन की पत्रिका भाग-3 पृष्ठ-483 से 508 में सन 1868 ई० में प्रकाशित हुआ

भोजपुरी पूर्वी अथवा मागधी परिवार की सबसे पश्चिमी बोली है ग्रियर्सन ने पश्चिमी मागधी को बिहारी के नाम से अभिहित किया है बिहारी से ग्रियर्सन का उस एक भाषा से तात्पर्य है जिसकी मगही, मैथिली तथा भोजपुरी 3 बोलियां हैं भाषाविज्ञान की दृष्टि से ग्रियर्सन का कथन सत्य है किंतु इन तीनों बोलियों में पारंपरिक अंतर भी है मैथिली ‘अछ’ या ‘छ’ धातु का प्रयोग भोजपुरी तथा मगही में नहीं है इसी प्रकार भोजपुरी क्रियाओं के रूप में मैथिली तथा मगही क्रियाओं के रूप की जटिलता का सापेक्षित दृष्टि से अभाव है

प्रख्यात विद्वान और भाषाविद डॉ. ग्रियर्सन ने भोजपुरी भाषा के संबंध में लिखा है ‘भोजपुरी एक बलिष्ठ जाति की व्यावहारिक भाषा है’ जो परिस्थितियों के अनुसार अपने को परिवर्तित करके संपूर्ण भारत पर अपना प्रभाव स्थापित किया है पूर्वी बंगाल के जमीदार अपने असमियों को नियंत्रण में रखने के लिए भोजपुरी सिपाहियों का दल रखते हैं और वहां वह दरबान कहलाते हैं

‘भोजपुरी भाषा सर्वजन सुलभ सुविधाजनक व्यापारिक भाषा है’ इसमें व्याकरण संबंधी जटिलताओं का नितांत अभाव है

Saturday, July 13, 2019

हिंदी एवं भोजपुरी गुणवाचक विशेषणों का कुछ डाटा संग्रह

हिंदी एवं भोजपुरी गुणवाचक विशेषणों का कुछ डाटा संग्रह- 
आपके सुझाव आमंत्रित हैं--------



क्रमांक
हिंदी गुणवाचक विशेषण
भोजपुरी रूप
1
सुंदर
सुघर/ सुघ्घर/ झकदार
2
बलवान
बड़ियार
3
विद्वान
जानकार
4
भला
भला
5
चालाक
चालू
6
अच्छा
नीक/नीमन/ठीक
7
ईमानदार
ईमानदार
8
सरल
सरल/आसान
9
विनम्र
नीमन
10
बुद्धिमान
चालाक
11
सच्चा
सच्चा
12
दानी
दानी
13
सीधा
सोझ
14
शांत
थिराइल/शांत/ठंडा
15
दुष्ट
हरामी
16
बुरा
बेकार/खराब
17
झूठा
झूठा/झूठ
18
क्रूर
निरदयी
19
कठोर
कड़ेर
20
घमंडी
घमंडी /टेड
21
बेईमान
बइमान/बइमानी
22
पापी
पापी/पपिया
23
लाल
लाल/ललका
24
लालची
लालची
25
पीला
पियर/पियरका
26
सफ़ेद
उजर/उजरका
27
नीला
नीला/आसमानी
28
हरा
हरियर/ हरियरका
29
काला
करिया/करिका/करियठ

30
बैगनी
भनटहिया
31
चमकीला
चमकउवा
32
धुंधला
धुधुरा/धुधुरावन
33
धूमिल
मटमइला
34
लंबा
लमहर
35
पतला
पातर/पतरका/खाखर
36
दुबला
दूबर/लकडी
37
मोटा
मोट/भोदा
38
भारी
भारी/वजनदार
39
पिघला
पिघलल
40
गड्ढा
गड़हा/खाल/गहीर
41
गीला
ओद/गील/भीगल
42
बड़ा
बड़/बड़का/बोड़
43
छोटा
छोट/छोटका

44
अस्वस्थ
बेमार/बेजार
45
सूखा
सूखल/झुराइल

46
घना
घनघोर
47
गरीब
गरीब
48
पालतू
पोसुवा
49
रोगी
रोगीयाह
50
कमजोर
          अब्बर
51
हल्का
हलुक/हलुका
52
बूढ़ा
बूढ़ /बुढ़ऊ / बुढ़वा
53
अमीर
पइसगर
54
खट्टा
खट/खटतूरत
55
मीठा
मीठ
56
नमकीन
नुनछाह
57
कड़वा
कड़वा
58
तीखा
तीत
59
सुगंधित
गमकउया/महकदार
60
भीतरी
भीतरी/भितरिया/भीतर
61
बाहरी
बहरिया/ बाहर /बहरवा
62
ऊपरी
ऊपर / उपरा /उपरिया

63
पूर्वी
पुरवइया
64
दायाँ
दाहिना
65
बायाँ
बाया
66
नया
नवका/नावा
67
पुराना
पुरान/पुरनका

68
ताजा
टटका
69
भूतकाल
पिछला
70
वर्तमान काल

वर्तमान काल
71
भविष्य काल

अगला काल
72
टिकाऊ
टिकाऊ
73
संध्या
सांझ
74
सवेरा
सबेर/सबेरे
75
मुलायम
चिकन/मोलायम
76
ठंडा
पल्ला/ठंडा
77
गरम/गर्म
गरम
78
कोमल
नरम
79
खुरदरा
ख़रख़राह
80
अच्छा
नीक/नीमन
81
बुरा
खराब/बेकार
82
कायर
जंगरचोर
83
वीर
बीर
84
डरपोक
डरपोक/डराकू
85
मेहनती
कमासुत
86
स्वास्थ
तबीयत
87
सुनहरा
रंगीन
88
मौसमी
सिजनी
89
आगामी
आगम
90
नवीन
नया
91
आधुनिक
आधुनिक
92
वार्षिक
सालाना
93
मासिक
महीना
94
भारतीय
भारतीय
95
विदेशी
परदेशी
96
ग्रामीण
                     देहाती
97
उजाला
                 अजोरिया
98
देशीय
                      देशी
99
अंधेरा
                  अनहरिया
100
चपटा
                     चापट


संदर्भ: अक्षय कुमार - एम. ए. भाषा प्रौद्योगिकी