Sunday, August 14, 2022

भोजपुरी भाषा का इतिहास

 

भोजपुरी हिंदी भाषा की एक बोली है भारत देश के उत्तर प्रदेश और बिहार के अतिरिक्त अन्य प्रदेशों में भी भोजपुरी बोली जाती है इसका विस्तार उत्तर प्रदेश और बिहार से अन्य प्रदेशों में जाने वाले लोगों से है भोजपुरी भाषाई परिवार के स्तर पर एक आर्य भाषा है और यह मुख्य रूप से पश्चिमी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बोली जाती है, तथा इसके साथ-साथ उत्तरी झारखंड के क्षेत्रों में भी बोली जाती है भोजपुरी भाषा अपनी शब्दावली के लिए मुख्य रूप से संस्कृत और हिंदी भाषा पर निर्भर है और इसके साथ-साथ यह उर्दू भाषा के कुछ शब्दों को भी ग्रहण की है

बिहारी बोलियों का विस्तृत व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक अध्ययन डॉक्टर ग्रियर्सन ने ‘सेवेनग्रामर्स आफ दी डायरेक्टस एंड सब डायरेक्ट्स ऑफ द बिहारी लैंग्वेज’ के रूप में उपस्थित किया बिहारी बोलियों का यह सर्वप्रथम विस्तृत अध्ययन हैये सात व्याकरण सन 1883 ई० से 1887 ई० तक प्रकाशित हुए जो बिहार के सभी प्रमुख बोलियों तथा उपबोलियों का अध्ययन प्रस्तुत करते हैं

इस भाषा को बोलने वाले लोगों का विस्तार विश्व के सभी महाद्वीपों पर है जिसका कारण यह है कि ब्रिटिश शासन के दौरान उत्तर भारत से अंग्रेजों द्वारा ले जाए गए मजदूर हैं जिनके वंशज जहां उनके पूर्वज गए थे वहीं बस गए। इनमें सूरीनाम, गुवाना, त्रिनिदादटोबेगो और फिजी आदि देश प्रमुख हैं बिहारी बोलियों का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन सर्वप्रथम एच.बीम्स पीपर ने प्रारंभ किया था इन्होंने भोजपुरी के संबंध में सर्वप्रथम एक निबंध ‘नोट्स ऑन दी भोजपुरी डायलेक्ट आफ हिंदी स्पोकन इन वेस्टर्न बिहार’ नामक शीर्षक से लिखा था जो रॉयल एशियाटिक सोसाइटी लंदन की पत्रिका भाग-3 पृष्ठ-483 से 508 में सन 1868 ई० में प्रकाशित हुआ

भोजपुरी पूर्वी अथवा मागधी परिवार की सबसे पश्चिमी बोली है ग्रियर्सन ने पश्चिमी मागधी को बिहारी के नाम से अभिहित किया है बिहारी से ग्रियर्सन का उस एक भाषा से तात्पर्य है जिसकी मगही, मैथिली तथा भोजपुरी 3 बोलियां हैं भाषाविज्ञान की दृष्टि से ग्रियर्सन का कथन सत्य है किंतु इन तीनों बोलियों में पारंपरिक अंतर भी है मैथिली ‘अछ’ या ‘छ’ धातु का प्रयोग भोजपुरी तथा मगही में नहीं है इसी प्रकार भोजपुरी क्रियाओं के रूप में मैथिली तथा मगही क्रियाओं के रूप की जटिलता का सापेक्षित दृष्टि से अभाव है

प्रख्यात विद्वान और भाषाविद डॉ. ग्रियर्सन ने भोजपुरी भाषा के संबंध में लिखा है ‘भोजपुरी एक बलिष्ठ जाति की व्यावहारिक भाषा है’ जो परिस्थितियों के अनुसार अपने को परिवर्तित करके संपूर्ण भारत पर अपना प्रभाव स्थापित किया है पूर्वी बंगाल के जमीदार अपने असमियों को नियंत्रण में रखने के लिए भोजपुरी सिपाहियों का दल रखते हैं और वहां वह दरबान कहलाते हैं

‘भोजपुरी भाषा सर्वजन सुलभ सुविधाजनक व्यापारिक भाषा है’ इसमें व्याकरण संबंधी जटिलताओं का नितांत अभाव है

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