Tuesday, August 2, 2022

वाक्य की परिभाषाएं एवं वाक्य के प्रकार (Definitions of Sentence & Types of Sentence)

 

कामता प्रसाद गुरू के अनुसार-

एक विचार पूर्णता से प्रकट करने वाले शब्द समूह को वाक्य कहते हैं।”

भोलानाथ तिवारी के अनुसार-

“वाक्य भाषा की वह सहज इकाई है जिसमें एक या अधिक शब्द (पद) होते हैं तथा जो अर्थ की दृष्टि से पूर्ण या अपूर्ण, व्याकरणिक दृष्टि से अपने विशिष्ट संदर्भ में अवश्य पूर्ण होती है, साथ ही उसमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कम से कम एक समापिका क्रिया अवश्य होती है।”

डॉ. राम गोपाल सिंह जादौन के अनुसार

“मानव समाज के विचारों और भावों को पूर्ण रूप से प्रकट करने वाले शब्द समूह को वाक्य कहते हैं। अर्थात् वाक्य भाषा की यादृच्छिक ध्वनियों से निर्मित विभिन्न पदों के सुनिश्चित क्रम में आयोजित वह न्यूनतम एवं पूर्ण सार्थक इकाई है जिससे एक वांछितार्थ या विचार की सिद्धि होती है।”

डॉ. सूरजभान सिंह के अनुसार-

 “व्याकरणिक संरचना की दृष्टि से वाक्य भाषा की सबसे बड़ी इकाई है, लेकिन संदेश-सम्प्रेषण की दृष्टि से वाक्य से बड़ी इकाई प्रोक्ति है, जो वक्ता के पूर्ण मंतव्य या विचार-बिंदू का प्रतिनिधित्व करता है और जो संदर्भ या प्रकरणयुक्त होता है।” वाक्य वक्ता के विचार को पूरी तरह व्यक्त करने वाली व्याकरणिक रचना की मूल इकाई है।”

डॉ. वासुदेवनंदन प्रसाद के अनुसार-

“मनुष्य के विचारों को पूर्णता से प्रकट करने वाले पदसमूह को वाक्य कहते हैं।”

कपिलदेव द्विवेदी के अनुसार- 

            “भाषा की लघुतम पूर्ण सार्थक इकाई को वाक्य कहते हैं।”

शिवनंदन सिंहा के अनुसार – 

          “वाक्य शब्दों का व्याकरण सम्मत वह क्रमानुसार संयोजन है जिससे विचारों या भावों की पूर्ण अभिव्यक्ति होती है।”

वचनदेव कुमार 

               “सार्थक शब्दों के जिस समूह से कोई तात्पर्य स्पष्ट रूप से प्रकट हो जाए, उसे वाक्य कहते हैं।”

जयकांत सिंह के अनुसार- 

               “शब्द क क्रमबद्ध सार्थक समूह के वाक्य कहल जाला।”

वाक्य का अध्ययन वाक्य विज्ञान के अंतर्गत किया जाता है प्रयोग की दृष्टि से वाक्य में मुख्यत: दो खंड होते हैं – उद्देश्य एवं विधेय

उद्देश्य (Subject) – वाक्य में जिसके बारे में कुछ कहा जाए या विधान किया जाए अर्थात संज्ञा के बारे में जो कुछ कहा जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं। दूसरे शब्दों में वाक्य में कर्ता एवं कर्ता का विस्तार उद्देश्य कहलाता है। 

जैसे -             

सभी लोग साथ देने को तैयार हैं

भैंस चारा खा रही है।

विधेय (Predicate) – उद्देश्य के बारे जो बात की जाए वह विधेय कहलाता है।

जैसे -

            अनिल मास्टर रिटायर हो गए

              लड़के मैदान में खेल रहे हैं।

वाक्य के प्रकार 

विभिन्न भाषाओं में प्रयोग के आधार पर वाक्य के भिन्न प्रकार मिलते हैं। इसी तरह हिंदी भाषा में प्रयोग के आधार पर वाक्य के दो भेद किए गए हैं ।

1-     अर्थ के आधार पर     2- रचना के आधार पर

अर्थ के आधार पर  -  अर्थ के आधार पर भोजपुरी भाषा में वाक्य के विभिन्न रूप देखे जा सकते हैं –

प्रश्नवाचक वाक्य वाक्य में जिस शब्द से प्रश्न होने का बोध होता है उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं।  जैसे –

      1. किससे बात कर रहे थे?   

      2. तुम आज कब आ रहे हो?

संबोधनवाचक वाक्य वाक्य में जिस शब्द के द्वारा किसी व्यक्ति, वस्तु को संबोधित किया जाता है वह संबोधन सूचक वाक्य होता है। जैसे –

     अरे! तुम क्या कर रहे हो। 

 इच्छाबोधक वाक्यजिस वाक्य से इच्छा होने की सूचना मिलती है उसे इच्छबोधक वाक्य कहते हैं । जैसे-

     1. कुछ भी करो।  

2. तुम लोग हमेशा खुश रहो।

संदेहसूचक वाक्य जिस वाक्य में संदेह या संभावना होने का विचार प्रकट हो, उसे संदेहसूचक वाक्य कहते हैं। जैसे -

1. कल आपके पिता जी आ सकते हैं।

2. आज बारिश हो सकती है।

आज्ञार्थक वाक्य जिस वाक्य से आज्ञा, विनती या उपदेश आदि का अर्थ सूचित होता है उसे आज्ञार्थक वाक्य कहते हैं। जैसे –

1. जाओ, पानी लेकर आओ।

2. हमारे आने से पहले खाना मत।

संकेतसूचक वाक्य – जिस वाक्य से किसी विशेष अर्थ की ओर संकेत होने या करने का बोध होता है उसे संकेतसूचक वाक्य कहते हैं। जैसे -

1. तुम कहो तो मैं खेल लूँगा।

2. किसानों को बहुत परेशानी होगी यदि पैदावार ठीक नहीं हुई तो।

रचना के आधार पर वाक्यों का वर्गीकरण -   

हिंदी भाषा में रचना के आधार पर वाक्य के मुख्यत: तीन प्रकार किये गए हैं –

सरल/साधारण वाक्य  (Simple Sentence) - जिस वाक्य में एक उद्देश्य (कर्ता) तथा एक विधेय (क्रिया) होता है, वह सरल वाक्य कहलाता है। वाक्य का कर्ता ही उद्देश्य है, दूसरे शब्दों में हम यूं भी कह सकते हैं कि कर्ता व कर्ता का विस्तार ही उद्देश्य है। इसके विपरीत उद्देश्य के बारे में जो कुछ भी कहा गया हो वह विधेय है। यह मुख्यतः उद्देश्य के बाद आता है। सरल वाक्य एक स्वतंत्र उपवाक्य भी कहा जाता है।

जैसे- 1. लड़का खाना खाता है 2. मीरा किताब पढ़ती है

मिश्र वाक्य (Complex Sentence) - जब मिश्र वाक्य के संरचना को देखें तो मिश्र वाक्य में कम से कम दो उपवाक्य होते हैं जिसमें एक मुख्य/सरल वाक्य होता है और दूसरा उपवाक्य गौण या आश्रित उपवाक्य होता है। एक दूसरी परिभाषा देखें तो मिश्र वाक्य में सरल/मुख्य तथा आश्रित उपवाक्यों के बीच का संबंध परस्पर आश्रय आश्रित का होता है। जिसमें मुख्य उपवाक्य का कथन मुख्य होता है जबकि आश्रित उपवाक्य मुख्य उपवाक्य से समुच्चयबोधक अव्ययों द्वारा जुड़े होते हैं। मिश्र वाक्य में दो उपवाक्य आपस में कि, जो, क्योंकि, जितना, उतना, जैसा, वैसा, जब, तब, जहाँ, वहाँ, जिधर, उधर, यद्यपि, यदि, अगर, तो इत्यादि।

जैसे- 1. राहुल ने दुकान खरीदी जो उसके मामा की थी ।

       2. उसने अमित से पूछा कि तुम कब आओगे ।

संयुक्त वाक्य (Compound Sentence)- ऐसा वाक्य जिसमें दो या दो से अधिक उपवाक्य हो एवं सभी उपवाक्य प्रधान हों, ऐसे वाक्य को सयुंक्त वाक्य कहते हैं। सयुंक्त वाक्य में दो या दो से अधिक सरल अथवा मिश्र वाक्य अव्ययों द्वारा सयुंक्त होते हैं। ये उपवाक्य एक दूसरे पर आश्रित नहीं होते एवं सयोंजक अव्यय उन वाक्यों को मिलाते हैं। सयुंक्त वाक्य में दो या दो से अधिक सरल वाक्यों को और, एवं, तथा, या, अथवा, इसलिए, अतः, फिर भी, तो, नहीं तो, किन्तु, परन्तु, लेकिन, पर आदि का प्रयोग करके जोड़ा जाता है।

जैसे- 1. तुम नहीं बुलाओगे फिर भी मैं आऊंगा ।

        2. मैं जा रहा हूँ और तुम भी आ जाना आदि ।


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