Friday, September 2, 2022

व्यतिरेकी विश्लेषण के अनुप्रयोग क्षेत्र (Applied/Application Areas of Contrastive Anaylesis)

 

व्यतिरेकी विश्लेषण के अनुप्रयोग क्षेत्र

व्यतिरेकी विश्लेषण का प्रयोग मुख्यतः भाषा शिक्षण और अनुवाद होता है। वस्तुतः व्यतिरेकी विश्लेषण का जन्म भाषा शिक्षण के संदर्भ में हुआ 

(1) व्यतिरेकी विश्लेषण और भाषा शिक्षण

भोलानाथ तिवारी का कथन है कि प्रायः यह समझा जाता है कि व्यतिरेकी विश्लेषण से अन्य भाषा शिक्षण में ही सहायता मिलती है, किंतु मातृभाषा शिक्षण में भी यह उपयोगी है क्योंकि भाषा शिक्षण में भाषा का मानक स्वरूप ही सिखाया जाता है। इस संदर्भ में ध्यान देना चाहिए कि जिन उपभाषाओं / बोलियों के क्षेत्र से विद्यार्थी आ रहे हैं और उनमें क्या समानताएं/असमानताएं हैं? उन्हें भाषा के शुद्ध प्रयोगों से परिचित कराना। स्वीकृत वाक्य का प्रयोग करना सिखाना है। अतः व्यतिरेकी विश्लेषण भाषा शिक्षण में ही नहीं, मातृभाषा शिक्षण में भी उपयोगी सिद्ध होता है। भाषाओं के महत्त्व के कारण भाषा-शिक्षण एक विशेष स्थान रखता है। मातृभाषा के अलावा जब हम दूसरी भाषा सीखते हैं तो इसमें कोई उद्देश्य निहित होता है। व्यापारसंचारपर्यटनसंप्रेषणशिक्षण का माध्यम आदि के लिए हम भाषा सीखते हैं। आज की स्थिति में भाषा-शिक्षण जरूरत बन गई है।

(2) व्यतिरेकी विश्लेषण और अनुवाद 

भारत एक बहुभाषी देश है। मानव अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए कोई भी अन्य भाषा सीखता है। भाषा सीखते समय ऐसी अनेक समस्याएँ आती हैंजिनका शिक्षार्थी सीखते समय अनुभव करता है क्योंकि भाषा की संरचनाएँ भिन्न-भिन्न होती हैं। दो भाषाओं का व्याकरण पूरी तरह समान नहीं होता। भाषा के विभिन्न अंगों (ध्वनिलेखनव्याकरणशब्दअर्थसंस्कृति) के स्तरों पर दो भाषाओं के बीच समान और असमान तत्त्व मिलतें हैं। यही तत्त्व अन्य भाषा सीखते समय रूकावट पैदा करती हैं। इन तत्त्वों को पहचानकर भाषा सीखना एक जटिल कार्य है क्योंकि नई भाषा को सीखने का अभिप्राय उसमें आचरण करने की सही आदतें विकसित करना है। इन आदतों के साथ-साथ अध्येता को इस भाषा के सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों से परिचित होना है। इस स्थिति में अन्य भाषा सीखते समय आनेवाली समस्याओं को कठिनाईयों को हम व्यतिरेकी विश्लेषण के अंतर्गत रखते हैं क्योंकि आधुनिक भाषाविज्ञान में विश्लेषण की विधियों के विकास के साथ-साथ शिक्षण-क्षेत्र में भाषाविज्ञान के अनुप्रयोगों के जो प्रयास किए गए हैंउसमें व्यतिरेकी विश्लेषण का महत्त्वपूर्ण स्थान है। समानता और असमानता के क्षेत्रों का निर्धारण करने में अनुवाद का व्यतिरेकी विश्लेषण में विशेष योगदान है। दोनों भाषाओं का ज्ञान होने के बावजूद किसी-न-किसी भाषा विशेषकर अपनी भाषा के नियम व्याघात उत्पन्न करते हैं। यहाँ अनुवाद की सहायता से दोनों भाषाओं का अध्ययन किया जाता है क्योंकि व्यतिरेकी विश्लेषण और अनुवाद प्रक्रिया दोनों का संबंध कम-से-कम दो भाषाओं और उनकी तुलनीयता से है।

अत: भाषाओं के विश्लेषण में जो भाषावैज्ञानिक प्रणाली अपनाई जाती हैवह व्यतिरेकी विश्लेषण और अनुवाद प्रक्रिया दोनों पर लागू होती है। इस दृष्टि से अनुवाद का सीधा संबंध व्यतिरेकी विश्लेषण से है। 

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