जो दुनिया में आया है, वो एक दिन वापस जाएगा,
संसार के इस शाश्वत सच को, कोई झुठला ना
पाएगा ।
पैसा बहुत कमाया था, ऐशो आराम का जीवन था,
इस पैसे के दम पे बता, धर्म से क्यूँ मुँह
फेरा था ।
हजारों रोज आते हैं, हजारों चले भी जाते
हैं,
उँगलियों पे गिन लो उनको, जो नाम अमर कर
जाते हैं ।
कोई जल्दी से हारा है, कोई लंबी रेस का
घोड़ा है,
पर इस रिटर्न जर्नी में, हमने सब कुछ यहीं
पे छोड़ा है ।
किसी की अंतिम यात्रा में, श्मशान घाट हो
आये थे,
कभी ये आखिरी मंजिल होगी, ये ना सोच पाए थे
।
हर शोक सभा में जो बात बार-बार दोहराई थी,
बात वो इतनी सीधी सरल थी, क्यों समझ ना आई
थी ।
पैसे की बात क्या करेंगे, शरीर ही यहाँ छोड़
जाना है,
जब वक्त आएगा जाने का, रिटर्न टिकट कटाना
है ।
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