था मैं नींद में और
मुझे इतना
सजाया जा रहा था....
बड़े प्यार से
मुझे नहलाया जा रहा था....
ना जाने
था वो कौन सा अजब खेल
मेरे घर में....
बच्चों की तरह मुझे
कंधे पर उठाया जा रहा था....
था पास मेरा हर अपना
उस वक़्त....
फिर भी मैं हर किसी के
मन से
भुलाया जा रहा था...
जो कभी देखते भी न थे
मोहब्बत की निगाहों से....
उनके दिल से भी प्यार मुझ पर
लुटाया जा रहा था...
मालूम नहीं क्यों
हैरान था हर कोई मुझे
सोते हुए देखकर....
जोर-जोर से रोकर मुझे
जगाया जा रहा था...
कांप उठी मेरी रूह
वो मंज़र देखकर....
जहां मुझे हमेशा के लिए
सुलाया जा रहा था....
मोहब्बत की इन्तहा थी
जिन दिलों में मेरे लिए....
उन्हीं दिलों के हाथों,
आज मैं जलाया जा रहा था!!!
इस दुनिया में कोई किसी
का हमदर्द नहीं होता,
लाश
को शमशान में रखकर अपने लोग ही पूछते हैं।
"और कितना वक़्त लगेगा"
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