उठो लाल, अब आँखें खोलो ।
पानी लायी हूँ, मुँह धो लो ।
बीती रात कमल-दल फूले ।
उनके ऊपर भौंरे झूले ।
चिड़ियाँ चहक उठी पेड़ों पर ।
बहने लगी हवा अति सुंदर ।
नभ में न्यारी लाली छायी ।
धरती ने प्यारी छबि पायी ।
भोर हुआ सूरज उठ आया ।
जल में पड़ी सुनहरी छाया ।
ऐसा सुंदर समय न खोओ ।
मेरे प्यारे अब मत सोओ ।
कवि - अयोध्यासिंह ‘हरिऔध’
अति सुन्दर पंक्तियां हैं
ReplyDeleteशुक्रिया🙏🙏
Delete