कद्दू जी की चली बारात
हुई बताशों की बरसात ।
बैगन की गाड़ी के ऊपर
बैठे कद्दू राजा,
शलजम और प्याज ने मिलकर
खूब बजाया बाजा ।
मेथी, पालक, भिंडी, तोरई,
टिंडा, मूली, गाजर,
बने बाराती नाच रहे थे
आलू, मटर , टमाटर ।
कद्दू जी हँसते-मुस्काते
लौकी दुल्हन लाए,
कटहल और करेले जी ने
चाट-पकौड़े खाए ।
प्रातः पता चली यह बात
सपना देखा था यह रात ।
कद्दू जी की चली बारात
हुई बताशों की बरसात ।
कवियित्री : शांति अग्रवाल
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