Saturday, July 30, 2022

एक था राधेश्याम

 

राधेश्याम दो शब्दों से मिलकर बना है ‘राधे + श्याम’। राधेश्याम का अर्थ राधिका का श्याम अर्थात कृष्ण होता है। कृष्ण हिंदुओं के एक देवता हैं जिसे हिन्दू समाज पूजता है। मैंने 5 वीं पास करके 6 वीं में जब बगल के गांव में दाखिला लिया तो उसी स्कूल में मुझे इसी नाम का एक सहपाठी मिला। चुंकि वह मेरे ही गांव का निवासी था। उसी उम्र में वह काफी चंचल स्वभाव का था। जैसे- सबसे बोलना, मजाक करना, गाना गाना, सार्वभौमिक गुण थे उसमें। धीरे-धीरे हम दोनों दोस्त बने और हम दोनों साथ-साथ B. A.(स्तानक) तक सहपाठी ही रहे। 12वीं पास करने के बाद मेरे पास 8-9 मित्रों का एक समूह था। राधेश्याम उनमें से एक था। हमारे समूह में किसी का भी कैसा भी कार्य करना होता था तो हम सभी मिलकर उसे कर देते थे। हम सब समूह के बाहर भी बहुत से ग्रामवासियों की सहायता करते थे। उसके बाद राधेश्याम भर्ती की तैयारी करने लगा, कुछ दिन बाद उसकी शादी भी हो गई और मैं महाराष्ट्र आ गया और यहां पर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से एम. ए. किया और फिलहाल पी-एच.डी. चल रही है। राधेश्याम हमारे ग्रुप में सबसे होनहार और बुलंद शरीर का था। हजारों में एक था  एक चित्र के माध्यम से उसे देखा जा सकता है....



जब भी मैं वर्धा से गांव पर जाता था। हम सभी मित्र इकठ्ठे होकर बहुत खुशी महसूस करते थे। पूरा दिन हंसी-माजक में कट जाता था पता भी नहीं चलता। एक दो लोगों को छोड़ दें तो मेरे ग्रुप में मेरे अपेक्षा सभी मित्र अमीर थे। मैं बहुत निम्न परिवार से था। साल 2018 में मेरे परिवार को रहने के लिए एक पक्का घर बना । कहानी लिखने तक उसी एक घर में मेरे पूरे परिवार का भरण-पोषण होता है। पुरुषों को रहने के लिए एक मड़ई है। मेरे परिवार में कुल 5 सदस्य हैं।

मेरे पिता जी के नाम से मात्र 3 मंडा (120 धुर) खेत है। जिसके हम दो भाई हिस्सेदार हैं अर्थात प्रत्येक भाई को 1.5 मंडा अर्थात  60 धुर मिलेगा। एक तरह से मेरा परिवार बंजारा परिवार की तरह है, रोज कामना और उसे खा जाना। मैं आर्थिक रूप से भले ही गरीब हैं मगर मित्रवत रूप से बहुत ही अमीर हूँ। मित्रों की वजह से आज तक मेरा कोई काम रुका नहीं। इसलिए मैं अपने मित्रों को भगवान स्वरूप मानता हूं। 

इन्हीं मित्रों के सहयोग से मैं साल 2021 में ग्रामप्रधान का चुनाव लगा। मेरे मित्रों को विपक्षियों ने तोड़ने का भरपूर प्रयास किया। यहां तक कि एक दूसरे के परिवार में झगड़ा तक करा दिया। चुनाव में सबसे ज्यादा पारिवारिक उलझन राधेश्याम ने झेला क्योंकि उसका परिवार मेरे विपक्षी को सपोर्ट करता था। मैंने उसे बहुत बार परिवार के साथ रहने का विचार दिया मगर वह नहीं माना। मैंने उसका मात्र एक बार सहयोग किया था वो भी मैंने अकेले नहीं किया था। वह उस सहयोग को एहसान मान बैठा था एक दूसरा कारण यह भी था कि वह सही के साथ खुलकर खड़ा रहता था। उस एक सहयोग के बदले उसने मुझ पर और मेरे अन्य दोस्तों पर अनगिनत एहसान किया। जहां कोई खड़ा न हो सके वहां अकेले खड़ा होने की क्षमता रखता था वह। हम लोगों के ग्रुप का मुखिया था वह। ग्रामप्रधान के चुनाव में मैंने उसे ही खड़ा होने को कहा था मगर वह मुझे चुना, इतना त्यागी था वह। किसी भी विपत्ति में कोई भी पुकार से एक पैर पर खड़ा रहता था वह। परिवार के विरोध में रहकर मुझे चुनाव लड़ाकर मेरे जैसे निम्न वर्ग के लड़के को चुनाव में दूसरा स्थान हासिल करवाया। 34 वोट से मैं चुनाव हारा। मुझे प्रधान बनाकर वह गांव में अपने माध्यम से अच्छे-अच्छे कार्य कराने का सपना देखता था। वह एक कुशल वक्ता था। गाँव के किसी भी प्रोग्राम में उसे मंच संचालन के लिए रखा जाता था। उसने खुद के बल पर इतनी पहचान बना रखी थी कि धीरे-धीरे पूरा क्षेत्र उसे जानने लगा था। वह अपने बोलने की स्टाइल से किसी के भी मन को मोह लेता था। एक तरह से मनमोहन था वह। मैंने भी उसके लिए कुछ कर गुजरने का स्वप्न संजो रखा था मगर...?। चुनाव में हारने के कुछ महीने बाद वह जॉब के लिए हरियाणा चला गया और उसके जाने के ठीक 9 दिन बाद मैंने फिर पढ़ाई के लिए वर्धा जाने के लिए ट्रेन पकड़ा। 10 मार्च का दिन था सुबह हो रहा था मेरी ट्रैन कुछ देर में नागपुर पहुंचने वाली थी। मेरे एक मित्र का अचानक फ़ोन आया और उसने राधेश्याम का एक्सिडेंट होने की खबर बताई। मुझे विश्वास नहीं हुआ फिर मैंने एकाध मित्रों को फ़ोन लगाया उन्होंने भी एक्सीडेंट की बात सही कही। फिर मैं उसके यहां जाने की योजना बनाने लगा तब तक मित्रों ने सूचना दी की जाने से कोई फायदा नहीं है क्योंकि अब राधेश्याम इस दुनिया में नहीं रहा। मुझे उस समय इस बात पर विश्वास नहीं हुआ और आज भी नहीं होता है। क्योंकि हमेशा ऐसा महसूस होता है वह कहीं गया है और जल्द ही आएगा फिर हम लोग साथ बैठेंगे, पार्टियां करेंगे और वह हम सबको डाँटेगा और समझाएगा। मगर बहुत दिन हो गया न वह फ़ोन करता है और न ही आने की बात करता है। जब भी उसकी यादें आती हैं तो बहुत रुलाती हैं। मगर जब तक हम जीवित हैं उसके आने का इंतजार करते रहेंगे। अब तो उसकी यादें मुझे मेरे दुखों में उर्जा देती हैं मैं जब कभी अकेले या किसी दुःख में रहता हूँ तो उसको याद करके रो लेता हूँ जिससे कि मुझे जीवन जीने के लिए उर्जा मिलती है मैं नागपुर से फिर बस पकड़कर गाँव के लिए रवाना हुआ मगर मैं उसके अंतिम यात्रा के अंतिम घड़ी में पहुंचा उसने हम सब पर इतना एहसान किया मगर हमें एहसान चुकाने का क्षण भर के लिए भी मौका नहीं दिया हम लोगों को जीवनभर के लिए कर्जदार करके चला गया मुझे तो उसने अपना जनाजा भी उठाने का मौका नहीं दिया सुना था मैं कि उसके जनाजे में जितनी भीड़ इकठ्ठी हुई थी उतनी भीड़ मेरे ग्रामसभा के किसी भी व्यक्ति के जनाजे में आज तक इकठ्ठी नहीं हुई थी उसकी उम्र मात्र अभी 26 वर्ष थी। मैंने सुना था ऐसी कोई आँख नहीं थी जो उस दिन रोई नहीं। जो उसको नहीं देखे थे वे उसकी तस्वीर देखकर रोए थे । हफ़्तों तक गाँव में शोक का माहौल रहा... इस हस्ती का नाम था राधेश्याम ! हरेक के बहुत मित्र होंगे और मिलेगें भी मगर मित्रता केवल होने और मिलने वाली चीज नहीं है इसे जीना पड़ता है और वह भी निःस्वार्थ भाव से।

कहा गया है कि यह दुनिया परिवर्तनशील है यहाँ पर कुछ भी स्थिर नहीं रहता है । सबको एक-न-एक दिन इसको छोड़कर जाना है क्योंकि जिंदगी जन्म और मृत्यु के बीच की यात्रा है। इसलिए जाने वाला चला जाता है और बचने वालों को जीना पड़ता है । जैसे....“राधेश्याम और मैं”

आज मित्रता दिवस पर राधेश्याम के लिए दो लाइन...........

तू हम सबका अभिमान, चेहरे की मुस्कान, और मेरे लिए भगवान था !

तेरे बिना न हम सबका न सुबह था, न शाम था !

तू हीं तो हम सबकी जान था, तू हीं तो जहान था !

उसके अग्निदाह के वक्त की एक तस्वीर.......


Miss you राधे....................

तुम्हारा कर्जदार मित्र .......मन्नू     

Wednesday, July 27, 2022

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म, मृत्यु, शिक्षा, उपलब्धियां, योगदान एवं पुस्तकों की सूची ( Birth, Death, Education & Books of Dr. A. P. J. Abdul kalam)


 

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी की जीवनी

डॉ.पी.जेअब्दुल कलाम एक महान भारतीय वैज्ञानिक थे। ए.पी.जेअब्दुल कलाम का पूरा नाम डॉ. अवुल पकिर जैनुलदेबेन अब्दुल कलाम था। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम्, ‘तमिलनाडुमें एक बहुत गरीब परिवार में हुआ था। वे मिसाइल मैनऔर राष्ट्रपतिके रूप में भारतीय इतिहास में एक चमकते सितारे रहे हैं। उन्होंने भारत के 11वें राष्ट्रपति के रुप में वर्ष 2002 से 2007 तक देश की सेवा की। वो भारत के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति थे क्योंकि एक वैज्ञानिक और राष्ट्रपति के रुप में देश के लिए उन्होंने बहुत बड़ा योगदान दिया था। वे भारत की नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा रहे हैं। ‘इसरो’ के लिए दिया गया उनका योगदान अविस्मरणीय है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी की शिक्षा

उन्होंने संत जोसेफ स्कूलमें अध्ययन किया और 'मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजीसे इंजीनियरिंग की। उड़ान में उनकी अत्यधिक रुचि ने उन्हें वैमानिकी इंजीनियरिंग के अपने सपने को पूरा करने में सक्षम बनाया। एक गरीब परिवार से होने के बावजूद उन्होंने अपनी शिक्षा कभी नहीं रोकी। डॉ. कलाम अपनी बाल्यावस्था से ही एक बहुत मेधावी छात्र थे। उन्होंने 1954 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजीसे तिरुचिरापल्ली से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की। वे वर्ष 1958 में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक के रूप में DRDO में शामिल हुए ।

राष्ट्र के विकास में योगदान

डॉ. कलाम ने सुरक्षा-शोध एवं विकास-संस्थान और भारतीय अंतरिक्ष शोध-संस्थान में विभिन्न पदों को सफलतापूर्वक सँभाला। इसरो में वे एस. एल. वी. परियोजना के अनुदेशक भी रहे। इस परियोजना के तहत अभी तक कई प्रक्षेपास्त्रों को प्रक्षेपित किया गया है। बहुत सारे प्रोजेक्ट को उनके द्वारा नेतृत्व किया गया जैसे रोहिणी-1 का लाँचप्रोजेक्ट डेविल और प्रोजेक्ट वैलिएंटमिसाइलों का विकास (अग्नि और पृथ्वी) आदि। भारत की परमाणु शक्ति को सुधारने में उनके महान योगदान के लिए उन्हें “भारत का मिसाइल मैन” कहा जाता है। अपने समर्पित कार्यों के लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्नसे नवाज़ा गया। भारत के राष्ट्रपति के रुप में अपने कार्यकाल के पूरा होने के उपरान्तडॉ. कलाम ने विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एक अतिथि प्रोफेसर के रुप में देश की सेवा की।

पुरस्कार एवं उपलब्धियाँ

1982 ई. में शोध एवं विकास-संगठनहैदराबाद से वे निदेशक के रूप में जुड़े। उन्होंने एकीकृत नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम के लिए कार्य किया। उन्होंने विभिन्न प्रक्षेपास्त्रोंजैसे- अग्निआकाशपृथ्वीनागत्रिशूल आदि के प्रक्षेपण-परियोजना का नेतृत्व किया। भारत-जैसे देश के लिए यह कोई आसान कार्य नहीं था। किंतु डॉ. कलाम ने कभी उम्मीदें नहीं छोड़ी। वे अपने लक्ष्य की ओर काम करते रहे। इसके बादउन्होंने सन् 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में सेवा की। डॉ. कलाम बहुत ही सामान्य व्यक्ति थे। उन्हें अध्ययन से प्रेम था। वे शास्त्रीय संगीत और कविताएँ लिखना भी पसंद करते थे। वे बच्चों और युवा छात्रों को प्रोत्साहित किया करते थे। वे भारत को पूर्णतया विकसित देश के रूप में देखना चाहते थे। वे बुद्धिमान होने के साथ-ही विनम्र थे।

डॉ. कलाम की मृत्यु 

27 जुलाई, 2015 को 'आईआईएम शिलांग' में एक व्याख्यान में आईआईएम शिलांग के छात्रों को संबोधित करते हुए कलाम मंच पर गिर पड़े। उसके गिरने के तुरंत बादउन्हें शहर के एक अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के दस महत्वपूर्ण विचार

1.       "ख़्वाब वे नहीं होते जो हम सोते में देखते हैंबल्कि ख़्वाब वे होते हैं जो हमें सोने ही न दें"

2.       "हमें जीवन में कभी किसी से हार नहीं माननी चाहिए और समस्या को हमें हराने की अनुमति नहीं देनी चाहिए"

3.       "इस दुनिया में किसी को हराना बहुत ही आसान हैलेकिन किसी को जीतना उतना ही मुश्किल है"

4.       "पहली बार जीत मिलने पर हमें आराम नहीं करना चाहिए, अगर दूसरी बार हार गए तो लोग बोलेंगे कि हमें मिली पहली जीत केवल एक तुक्का थी" 

5.       "अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते होतो सबसे पहले सूरज की तरह जलो" 

6.       "विज्ञान मानवता के लिए एक खूबसूरत तोहफा हैहमें इसे बिगाड़ना नहीं चाहिए" 

7.       "जानें कि आप कहां जा रहे हैं  दुनिया में सबसे बड़ी बात यह नहीं जानना है कि हम कहां खड़े हैंहम किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं"

8.       "जब आपकी आशाएं और सपने और लक्ष्य धराशायी हो जाते हैंतो मलबे के बीच खोज करेंआपको खंडहर में छिपा एक सुनहरा अवसर मिल सकता है"

9.       "देश का सबसे अच्छा दिमाग कक्षा की आखिरी बेंच पर पाया जा सकता है"

10.   "यदि आप समय की रेत पर अपने पैरों के निशान छोड़ना चाहते हैंतो अपने पैरों को मत खींचो

डॉ. कलाम द्वारा रचित 25 प्रमुख पुस्तकों की सूची

1. इंडिया 2020 : ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम (India 2020 : A Vision for the New Millennium)

प्रकाशन वर्ष : 1998

2. विंग्स ऑफ फायर : एन ऑटोबायोग्राफी (Wings of Fire: An Autobiography)

प्रकाशन वर्ष: 1999

3. इगनाइटेड माइंड्स : अनलीजिंग द पॉवर विदिन इंडिया (Ignited Minds: Unleasing the Power Within India)

प्रकाशन वर्ष : 2002

4. द ल्यूमिनस स्पार्क्स : ए बायोग्राफी इन वर्स एंड कलर्स (The Luminous Sparks: A Biography in Verse and Colours)

प्रकाशन वर्ष : 2004

5. गाइडिंग सोल्स : डायलॉग्स ऑन द पर्पस ऑफ लाइफ (Guiding Souls: Dialogues on the Purpose of Life)

प्रकाशन वर्ष : 2005

सह-लेखक : अरूण तिवारी

6. मिशन ऑफ इंडिया : ए विजन ऑफ इंडियन यूथ (Mission of India: A Vision of Indian Youth)

प्रकाशन वर्ष : 2005

7. इन्स्पायरिंग थॉट्स : कोटेशन सीरिज (Inspiring Thoughts: Quotation Series)

प्रकाशन वर्ष : 2007

8. यू आर बोर्न टू ब्लॉसम : टेक माई जर्नी बियोंड (You Are Born to Blossam: Take My Journey Beyond)

प्रकाशन वर्ष : 2011

सह-लेखक : अरूण तिवारी

9. द साइंटिफिक इंडियन : ए ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी गाइड टू द वर्ल्ड अराउंड अस (The Scientific India: A Twenty First Century Guide to the World Around Us)

प्रकाशन वर्ष : 2011

सह-लेखक : वाई. एस. राजन

10. फेलियर टू सक्सेस : लीजेंडरी लाइव्स (Failure to Success: Legendry Lives)

प्रकाशन वर्ष : 2011

सह-लेखक : अरूण तिवारी

11. टारगेट 3 बिलियन  (Target 3 Billion)

प्रकाशन वर्ष : 2011

सह-लेखक : श्रीजन पाल सिंह

12. यू आर यूनिक : स्केल न्यू हाइट्स बाई थॉट्स एंड एक्शंस (You Are Unique: Scale New Heights by Thoughts and Actions)

प्रकाशन वर्ष : 2012

सह-लेखक : एस. कोहली पूनम

13. टर्निंग पॉइंट्स : ए जर्नी थ्रू चैलेंजेस (Turning Points: A Journey Through Challenges)

प्रकाशन वर्ष : 2012

14. इन्डोमिटेबल स्प्रिट  (Indomitable Spirit)

प्रकाशन वर्ष : 2013

15. स्प्रिट ऑफ इंडिया  (Spirit of India)

प्रकाशन वर्ष : 2013

16. थॉट्स फॉर चेंज : वी कैन डू इट (Thoughts for Change: We Can Do It)

प्रकाशन वर्ष : 2013

सह-लेखक : ए. सिवाथानु पिल्लई

17. माई जर्नी : ट्रांसफॉर्मिंग ड्रीम्स इन्टू एक्शंस (My Journey: Transforming Dreams into Actions)

प्रकाशन वर्ष : 2013

18. गवर्नेंस फॉर ग्रोथ इन इंडिया (Governance for Growth in India)

प्रकाशन वर्ष : 2014

19. मैनीफेस्टो फॉर चेंज (Manifesto For Change)

प्रकाशन वर्ष : 2014

सह-लेखक : वी. पोनराज

20. फोर्ज योर फ्यूचर : केन्डिडफोर्थराइटइन्स्पायरिंग (Forge Your Future: Candid, Forthright, Inspiring)

प्रकाशन वर्ष : 2014

21. बियॉन्ड 2020 : ए विजन फॉर टुमोरोज इंडिया (Beyond 2020: A Vision for Tomorrow’s India)

प्रकाशन वर्ष : 2014

22. द गायडिंग लाइट : ए सेलेक्शन ऑफ कोटेशन फ्रॉम माई फेवरेट बुक्स (The Guiding Light: A Selection of Quotations from My Favourite Books)

प्रकाशन वर्ष : 2015

23. रिग्नाइटेड : साइंटिफिक पाथवेज टू ए ब्राइटर फ्यूचर (Reignited: Scientific Pathways to a Brighter Future)

प्रकाशन वर्ष : 2015

सह-लेखक : श्रीजन पाल सिंह

24. द फैमिली एंड द नेशन (The Family and the Nation)

प्रकाशन वर्ष : 2015

सह-लेखक : आचार्य महाप्रज्ञा

25. ट्रांसेडेंस माई स्प्रिचुअल एक्सपीरिएंसेज (Transcendence My Spiritual Experiences)

प्रकाशन वर्ष : 2015

सह-लेखक : अरूण तिवारी

 


Tuesday, July 26, 2022

वापस यात्रा (Return Travel)

                         


जो दुनिया में आया है, वो एक दिन वापस जाएगा,

संसार के इस शाश्वत सच को, कोई झुठला ना पाएगा ।


पैसा बहुत कमाया था, ऐशो आराम का जीवन था,

इस पैसे के दम पे बता, धर्म से क्यूँ मुँह फेरा था ।


हजारों रोज आते हैं, हजारों चले भी जाते हैं,

उँगलियों पे गिन लो उनको, जो नाम अमर कर जाते हैं ।


कोई जल्दी से हारा है, कोई लंबी रेस का घोड़ा है,

पर इस रिटर्न जर्नी में, हमने सब कुछ यहीं पे छोड़ा है ।


किसी की अंतिम यात्रा में, श्मशान घाट हो आये थे,

कभी ये आखिरी मंजिल होगी, ये ना सोच पाए थे ।


हर शोक सभा में जो बात बार-बार दोहराई थी,

बात वो इतनी सीधी सरल थी, क्यों समझ ना आई थी ।


पैसे की बात क्या करेंगे, शरीर ही यहाँ छोड़ जाना है,

जब वक्त आएगा जाने का, रिटर्न टिकट कटाना है ।



Sunday, July 24, 2022

कोड, कोड-मिश्रण और कोड-परिवर्तन (Code, Code-Mixing & Code-Switching & both difference)


कोड (Code)

मनुष्य अपने विचारों को भावों में व्यक्त करने के लिए भाषा का प्रयोग करता है हर स्थिति तथा घटना को भाषा में व्यक्त किया जा सकता है बदलती स्थितियों और संदर्भों के अनुसार भाषा की शैलियाँ अर्थात कहने का ढंग भी बदलता है इसी प्रकार वक्ता और श्रोता के अनुसार भी भाषा व्यवहार में परिवर्तन दिखलाई पड़ता है क्योंकि हर स्थिति में हर व्यक्ति एक सा भाषा व्यवहार नहीं करता सामाजिक स्तर,शिक्षा और संस्कार के अनुसार व्यक्ति का भाषा व्यवहार बदलता है । जैसे- किसी नेता के चुनाव में जीतने की स्थिति को हिंदी में अनेक प्रकार से कहा जा सकता है –

1)     नेता जी चुनाव जीत गए ।

2)     नेता जी विजयी हुए ।

3)     नेता जी ने मैदान मार लिया ।

4)     नेता जी ने अपने प्रतिद्वंदी को हरा दिया ।

अतः भाषा व्यवहार स्थिति, संदर्भ और व्यक्ति पर निर्भर करता है । इस प्रकार स्थिति विशेष में किये जा सकने वाले अनेक भाषिक विकल्पों में से व्यक्ति विशेष द्वारा चुना गया प्रयोग ‘कोड’ कहलाता है।

 

कोड-मिश्रण (Code-Mixing)   

प्रत्येक राष्ट्र में एक राष्ट्रभाषा होती है, जो पुरे राष्ट्र के पूरे भू-भाग में स्वीकृत होती है । राष्ट्रभाषा के अलावा भी प्रत्येक राष्ट्र में अन्य कई भाषाएँ और बोलियां वहां के लोगों द्वारा प्रयोग की जाती हैं। अपनी मातृभाषा के सांचे में अन्य भाषाओँ की इकाइयाँ जैसे- संज्ञा, विशेषण, क्रिया आदि का सहज रूप में प्रयोग होने लगता है। देखा जाता है कि हिंदी-भाषी, मराठी-भाषी या अन्य भाषा-भाषी अपनी मातृभाषा में बोलते समय भी अंग्रेजी भाषा के शब्दों का प्रयोग बीच-बीच में करते हैं। हिंदी भाषी मानक हिंदी बोलते-बोलते बोलियों का प्रयोग करते भी सुने जाते हैं । इस प्रकार जब एक भाषा के कोड में दूसरी भाषा की इकाइयों का प्रयोग होता है तो इस प्रक्रिया को कोड मिश्रण कहा जाता है।

जैसे- 1. वह डेली(रोज) आता है ।    2. अब तक रिजल्ट नहीं आया ।

कोड-परिवर्तन (Code-Switching)

यह एक भाषा के कोड से दूसरी भाषा के कोड में अंतरण की प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया भी व्यक्ति(वक्ता) , स्थिति और प्रयोग के उद्देश्य से नियंत्रण होती है, कभी-कभी दो भाषाएँ जानने वाले व्यक्ति के दोनों भाषाओं में अभ्यास के कारण भी होता है । कभी-कभी वक्ता को ऐसा भी लगता है कि वह एक भाषा में अपनी बात ठीक से नहीं कह पा रहा, तब दूसरी भाषा का सहारा लेता है । कोड परिवर्तन में भाषा का कोड ही बदल जाता है। यह उपवाक्य स्तर पर होता है।

जैसे- 1. आइ एम गोइंग सो तुम भी चलोगे तो चलो ।


Code-mixing

code-mixing is the embedding of various linguistic units such as affixes (bound morphemes), words (unbound morphemes), phrases and clauses from a cooperative activity where the participants, in order to in infer what is intended, must reconcile what they hear with what they understand. defines code mixing or a mixed code as “using two languages such that a third, new code emerges, in which elements from the two languages are incorporated into a structurally definable pattern” (p.125) In other words, the code mixing hypothesis states that when two code switched languages constitute the appearance of a third code it has structural characteristics special to that new code.


Code-switching

code-switching as “a common term for alternative use of two or more language, varieties of a language or even speech styles. “while Bokamba (1989) defines both concepts thus: “Code-switching is the mixing of words, phrases and sentences from two distinct grammatical (sub)systems across sentence boundaries within the same speech event.


कोड-मिश्रण और कोड-परिवर्तन और इनके बीच अंतर को हिंदी (Hindi) में विस्तार से पढ़ने के लिए  नीचे दिए link को Copy करके Google में Paste करके खोल सकते हैं और pdf को downlaod भी कर सकते हैं -

  • https://drive.google.com/file/d/1R67ZnjLRJvqAdjN_9S_A2qy-dZunvaW8/view?usp=sharing

कोड-मिश्रण और कोड-परिवर्तन और इसके बीच अंतर को अंग्रेजी (English) में विस्तार से पढ़ने के लिए नीचे दिए link को Copy करके Google में Paste करके खोल सकते हैं और pdf को downlaod भी कर सकते हैं -

  • https://docs.google.com/document/d/1a1J9sSIOYyAHcVjLiA2fdYod5TLItGcd/edit?usp=sharing&ouid=101712793902832974133&rtpof=true&sd=true