Sunday, December 26, 2021

तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशज शब्द

 

हिंदी में उत्पत्ति के आधार पर शब्दों के चार प्रकार हैं- तत्सम, द्भव, देशज और विदेशज

तत्सम :

तत्सम अर्थात तत (उसके) + सम (समान), यहाँ उस का तात्पर्य संस्कृत है तत्सम शब्द वे शब्द हैं जिन्हें संस्कृत से उसी रूप लिये गए हैं, जैसे वे संस्कृत में मिलती थे

उदाहरण : माता, जल, तप, दान, अंधकार, सत्य, हानि आदि

द्भव :

द्भव दो शब्दों के मेल से निर्मित है- तत (उससे) + भव (निर्मित), जो शब्द संस्कृत के समान नहीं हैं, लेकिन कुछ परिवर्तन के साथ हिंदी में लिये गए हैं

उदहारण : अंधकार से अँधेरा, अग्नि से आग, अष्ट से आठ आदि



देशज :

  • देशज शब्द वे शब्द हैं जिनका जन्म देश में ही हुआ है
  • देशज शब्द की एक विशेषता यह भी है कि उसमें लोक या अंचल की संस्कृत की महक महसूस की जा सकती है
  • भारत में दूसरी भाषा से लिये गए शब्द भी देशज कहलाएंगे, अगर उस भाषा का जन्म भारत में हुआ हो


विदेशज शब्द :

विदेशज शब्द वे शब्द हैं जो हमारे देश में नहीं उपजे बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान की प्रकिया में हिंदी भाषा में स्वीकार किये गए हैं

हालाँकि देशज और विदेशज, दोनों ही प्रकार के शब्द दूसरी भाषाओं से संबंद्ध होते हैं, किंतु देशज शब्दों का संबंध इसी देश की भाषाओं और विदेशज का विदेशी भाषाओं से होता है    


संदर्भ :  दृष्टि प्रकाशन 

4 comments: