शब्द-शक्ति - शब्द अर्थ का मूलवाहक होता है। अर्थ का बोध कराने में शब्द कारण
है तथा अर्थ का बोध कराने वाले व्यापार को शब्दशक्ति कहते हैं। कवि अपने काव्य में
इसी शक्ति के सहारे अपने अभीष्ट अर्थ को बोध कराता है।
शब्द-शक्ति के प्रकार -
(1) अभिधा - अभिधा शब्द की वह शक्ति है, जो शब्द के साधारण और व्यवहारिक अर्थ को प्रकट करती है। साक्षात सांकेतित
अर्थ का बोध कराने वाले व्यापार को अभिधा शक्ति कहते हैं।
वाक्य में
अभिधा शब्द शक्ति वहां होती है, जहाँ पर वक्ता द्वारा कहे गए कथन का श्रोता दौरा ज्यों का त्यों अर्थ
ग्रहण कर लिया जाता है।
(I) रूढ़ शब्द : जिन
शब्दों की व्युत्पत्ति होती है।
(II) यौगिक शब्द : इन्हें खंडित
नहीं किया जा सकता।
(III) योगरूढ़ शब्द : दो
शब्दों/शब्दांशों के योग से हुई रचना, ये सामान्य अर्थ को छोड़ विशेष अर्थ बताते हैं।
- सीता खेल रही है।
- तुम जा रहे हो।
- वह गाना गा रहा है।
(2) लक्षणा - मुख्य अर्थ के बाधित होने पर उससे संबंध रखने वाले अन्य अर्थ का
बोध कराने वाले शब्द के व्यापार को लक्षणा शक्ति कहते हैं।
(I) रूढ़ लक्षणा : जहाँ
पर मुख्य अर्थ की अपेक्षा किसी रूढ़ि अथवा परंपरा को आधार मानकर किसी वाक्य का अर्थ
ज्ञात होता हो, वहाँ रूढ़ि/रूढ़ा लक्षणा होती है।
जैसे- बिहार जाग उठा। इस वाक्य में (बिहार) से
तात्पर्य बिहार में निवास करने वाले लोगों से है। अतः वाक्य का अर्थ होगा कि बिहार
के निवासी सक्रिय हो गए हैं।
(II) प्रयोजनवती लक्षणा : जहाँ पर मुख्यार्थ
में बाधा तो हो किंतु किसी प्रयोजन अथवा कारण को महत्व दिया जाए, वहाँ पर प्रयोजनवती लक्षणा होती
है। जैसे- महेश तो निरा गधा है। यहाँ गधा का अर्थ ‘मुर्ख’ है।
(3) व्यंजना - व्यंजन का अर्थ होता है - विशेष प्रकार का अंजन, । अतः शब्द के जिस व्यापार से मुख्य और लक्ष्य
अर्थ से भिन्न अर्थ की प्रतीति हो, उसे व्यंजना कहते हैं।
दरअसल इससे व्यंग्यार्थ का बोध होता है। जैसे कि एक आँख से कमजोर व्यक्ति को यह
कहना कि “सौ में सूर हजार में काना, सवा लाख में ऐंचा ताना” या किसी काले व्यक्ति को यह कहना कि ‘आप बहुत
गोर दिख रहे हैं’ आदि।
(I) शब्दी व्यंजना :
जहाँ पर व्यंगार्थ अर्थ पर आधारित न
होकर शब्द पर आधारित हो, वहाँ पर शाब्दी व्यंजना होती है। जैसे-
'पानी गए न
उबरे मोती मानस चून'। यहाँ पानी के अनेक अर्थ है और इसका पर्यायवाची रखने पर
व्यंजना समाप्त हो जाएगी।
(II) आर्थी व्यंजना : शाब्दी व्यंजना के विपरीत इसमें जब शब्द बदल देने
पर भी व्यंगार्थ निकलता रहे, तब आर्थी व्यंजना होगी। जैसे-
एक मनमोहन तो बस के उजारियो मोहि,
हिय में अनेक मनमोहन बसावो ना।
संदर्भ : https://hindi-grammar.com/shabd-shakti/
https://hindisarang.com/shabd-shkti/
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