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ईश्वर वो कर्जा है
जिसे ग़रीब आजीवन भरता है
सत्ता की तरह!
ईश्वर वो परदा है
जो बेबस को नंगा करता है
सत्ता की तरह!
ईश्वर वो बरधा है
जो हाड़ चबाया करता है
सत्ता की तरह!
ईश्वर वो गरदा है
जो सपने धूमिल करता है
सत्ता की तरह!
ईश्वर वो मरदा है
जो स्त्रियों पर ज़ुल्म करता है
सत्ता की तरह!
ईश्वर कोरा परचा है
जिसे नाहक़ भरना पड़ता है
सत्ता की तरह!
ईश्वर ईजाद किया वो सत्ता है
जो मज़लूमों का शोषण करता है
सत्ता की तरह!
ईश्वर झूठा दरजा है
जो तर्क से हमेशा डरता है
सत्ता की तरह!
ईश्वर चंद लोगों का भत्ता है
जो कामचोरी करता है और बेगारी में मरता है
सत्ता की तरह!
ईश्वर भगवा कत्था है
जो हरे को ख़ूनी करता है
सत्ता की तरह!
ईश्वर वो ठर्रा है
जो ज़ेब को ढ़ीली करता है
सत्ता की तरह!
ईश्वर वो पत्ता है
जो डाली से बग़ावत करता है
सत्ता की तरह!
ईश्वर इतना सस्ता है
जिसे ज़ेब में पंडा रखता है
सत्ता की तरह!
ईश्वर ऐसा धंधा है
जिस पर ग्राहक मरता है
सत्ता की तरह!
~बच्चा लाल 'उन्मेष'
('कौन जात हो भाई' कविता संग्रह से...)
"ईश्वर यदि होता तो वो अपने अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाले नास्तिकों को पैदा नहीं करता।"
― पेरियार रामास्वामी नायकर
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