Wednesday, December 28, 2022

इहां जतिए पहिचान बा

 

_________________________


जात में जात इहां जतिए प्रधान बा

इ ह भारत इहां जतिए पहिचान बा।


जात में जात जइसे केला के पतिया

छिलका पियाज के जस मोथा के घसिया

जात के मान इहां जतिए अभिमान बा

इ ह भारत इहां जतिए पहिचान बा।


पानी के जात इहां मटका के जतिया

भात के जात इहां रोटियो के जतिया

जात से बड़ा-छोट जतिए भगवान बा

इ ह भारत इहां जतिए पहिचान बा।


पीड़ित भयल इहां जतिए से मानव

जतिए से मानव कहाइल दनुज-दानव

चरित-गुनहीन देखा तबो सम्मान बा

इ ह भारत इहां जतिए पहिचान बा।


नेह-मानवता के जाति गइल खाई

हक-अधिकार गयल जाति से लुटाई

जतिए से हमनीं के मिटल पहिचान बा

इ ह भारत इहां जतिए पहिचान बा।


मिलल अजादी बाकी के के अजाद भयल

बंधुआ अजादी अ बंधुआ अधिकार भयल

जतिए अजाद भइल जतिए गुलाम बा

इ ह भारत इहां जतिए पहिचान बा।


     कवि  -- राम बचन यादव


Sunday, December 25, 2022

जीसस कौन थे (Who was Jesus)

 


जीसस ने बचपन से बहुत आकर्षित किया 

चरवाहे के घर पैदा हुआ 

भेंडे चराता रहा

एक  निर्दोष जीवन जिया।



महिला को सजा देने के लिए पत्थर मारने वाली भीड़ से कहा, पहला पत्थर वो मारे जिसने पाप ना किया हो।


कितने साहस की बात ?

जीसस का जन्म का धर्म यहूदी था। 

पुराना धर्म कहता था दांत के बदले दांत और आँख के बदले आँख ही धर्म है। 

जीसस ने पहली बार कहा कि नहीं यह धर्म नहीं है,

बल्कि धर्म तो यह है कि कोई तुम्हारे एक गाल पर तमाचा मारे तो दूसरा गाल भी आगे कर दो,

और कोई तुमसे तुम्हारी कमीज़ मांगे तो तुम उसे अपना कोट भी दे दो,


जीसस ने कहा सूईं के छेद से ऊँट का निकलना संभव है लेकिन किसी अमीर का स्वर्ग में प्रवेश असम्भव है।

मंदिर/मस्जिद के परिसर में बैठकर गरीबों को ब्याज़ पर पैसा देने वाले साहूकारों पर जीसस कोड़े लेकर टूट पड़ा था,

और उन्हें मार-मारकर वहाँ से भगा दिया और उनकी मेजें उलट दी थी।


बाद में ईसा के नाम पर बनाए गये इसाई धर्म के चर्च के पादरियों और राजाओं ने मिलकर गरीब किसानों का वैसा ही शोषण किया जैसा भारत में पुरोहितों और राजाओं के गठजोड़ ने किया।


गैलीलियो को विज्ञान की बात कहने के अपराध में चर्च द्वारा उम्र कैद दे दी गई,

क्योंकि विज्ञान की सच्चाई का बाइबिल की बात से मेल नहीं खाता था,

ब्रूनो को भी सच कहने के कारण चर्च ने जिन्दा जला दिया,

इसाइयों ने कई सौ साल तक चलने वाले युद्ध लड़े ,


दुनिया को लूटने वाले और सारे संसार पर युद्ध थोपने वाले अमरीका और यूरोप के पूंजीवादी राष्ट्र खुद को जीसस का अनुयायी कहते हैं। 

जबकि जीसस गरीब की तरह पैदा हुआ 

गरीब की तरह जिया 

गरीबों के लिए जिया 

और गरीब की तरह मारा गया।  

यही संस्थागत धर्म की त्रासदी है। 

जीसस को दो चोरों के साथ अपना सलीब खुद अपने कन्धों पर ढोने के लिए मजबूर किया गया .......

काँटों की टहनी उसके सर के चारों तरफ पहना दी गई 

अंत में जीसस को लकड़ी के सलीब पर कीलों से ठोक दिया गया....

जीसस मुझे एक धार्मिक नेता नहीं, अपना साथी लगता है ।


कामरेड जीसस को लाल सलाम।


Saturday, December 24, 2022

ईश्वर की सत्ता, सत्ता का ईश्वर

 

-----------------------------------

ईश्वर वो कर्जा है

जिसे ग़रीब आजीवन भरता है

सत्ता की तरह!


ईश्वर वो परदा है

जो बेबस को नंगा करता है

सत्ता की तरह!


ईश्वर वो बरधा है

जो हाड़ चबाया करता है

सत्ता की तरह!


ईश्वर वो गरदा है

जो सपने धूमिल करता है

सत्ता की तरह!


ईश्वर वो मरदा है

जो स्त्रियों पर ज़ुल्म करता है

सत्ता की तरह!


ईश्वर कोरा परचा है

जिसे नाहक़ भरना पड़ता है

सत्ता की तरह!


ईश्वर ईजाद किया वो सत्ता है

जो मज़लूमों का शोषण करता है

सत्ता की तरह!


ईश्वर झूठा दरजा है

जो तर्क से हमेशा डरता है

सत्ता की तरह!


ईश्वर चंद लोगों का भत्ता है

जो कामचोरी करता है और बेगारी में मरता है

सत्ता की तरह!


ईश्वर भगवा कत्था है

जो हरे को ख़ूनी करता है

सत्ता की तरह!


ईश्वर वो ठर्रा है

जो ज़ेब को ढ़ीली करता है

सत्ता की तरह!


ईश्वर वो पत्ता है

जो डाली से बग़ावत करता है

सत्ता की तरह!


ईश्वर इतना सस्ता है

जिसे ज़ेब में पंडा रखता है

सत्ता की तरह!


ईश्वर ऐसा धंधा है

जिस पर ग्राहक मरता है 

सत्ता की तरह!


~बच्चा लाल 'उन्मेष'

('कौन जात हो भाई' कविता संग्रह से...) 

"ईश्वर यदि होता तो वो अपने अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाले नास्तिकों को पैदा नहीं करता।"

पेरियार रामास्वामी नायकर

Thursday, December 22, 2022

संघर्ष ही जीवन है (Struggle is Life)


बहुत पहले कहीं पढ़ा था। एक बार एक जंतु विज्ञान के प्रोफेसर अपने क्लास में आए । सभी छात्रों को मेज के पास बुला लिए । मेज पर एक अंडा रखा। अंडा किसी कीट का था। matured अंडा। प्रोफेसर ने छात्रों से कहा इसे ध्यान से देखना, ये अंडा टूटने वाला है, कह कर चले गए । 




कुछ ही समय के बाद अंडा में हरकत होनी शुरू हो गयी। अंडा टूटना शुरू हुआ। कीट बाहर आने के लिए संघर्ष करने लगा। संघर्ष इतना पीड़ा दायक था की छात्रों से देखा नहीं गया उन्होंने कीट की मदद कर दी, उसे अंडे से बाहर आने में। कीट बाहर तो आया लेकिन चल बसा अर्थात मर गया। 


कुछ देर बाद जब प्रोफेसर आए तो उन्होंने कीट को मरा पाया, समझते देर नहीं लगी की क्या हुआ होगा। उन्होंने छात्रों से कहा की ये कीट सौ वर्ष जीता है, और वो जो अंडा से बाहर आने की पीड़ा है वही इसे शक्ति देता है सौ वर्ष जीने के लिए। तुम लोगों ने इसे संघर्ष नहीं करने दिया और परिणाम ये हुआ कि वह सौ मिनट भी नहीं जी पाया। 


संघर्ष जरुरी है ! 


जिंदगी में संघर्ष न हो तो जिंदगी का मजा ही नहीं । पता ही नहीं चलेगा कि जीवित हैं भी या नहीं । घर्षण चलती गाड़ी ही महसूस करती है, रुकी हुई नहीं । संघर्ष जीवित इंसान के हिस्से आता है, मुर्दों के नहीं ।


Tuesday, December 13, 2022

5 रुपए की रोटी


एक व्यापारी था। जो 5_रुपए_की_रोटी बेचता था। उसे रोटी की कीमत बढ़ानी थी लेकिन बिना राजा की अनुमति कोई भी अपने दाम नहीं बढ़ा सकता था। लिहाज़ा राजा के पास व्यापारी पहुंचा, बोला राजा जी मुझे रोटी का दाम 10 करना है।


राजा बोला तुम 10 नहीं 30 रुपए करो।


व्यापारी बोला महाराज इससे तो हाहाकार मच जाएगा।

राजा बोला इसकी चिंता तुम मत करो, तुम 10 रुपए दाम कर दोगे तो मेरे राजा होने का क्या फायदा, तुम अपना फायदा देखो और 30 रुपए दाम कर दो।..........

अगले दिन व्यापारी ने रोटी का दाम बढ़ाकर 30 रुपए कर दिया, शहर में हाहाकार मच गया, सभी राजा के पास पहुंचे, बोले महाराज यह व्यापारी अत्याचार कर रहा है, 5 की रोटी 30 में बेच रहा है।..........

राजा ने अपने सिपाहियों को बोला उस गुस्ताख व्यापारी को मेरे दरबार में पेश करो।.........

व्यापारी जैसे ही दरबार में पहुंचा, राजा ने गुस्से में कहा गुस्ताख तेरी यह मजाल तूने बिना मुझसे पूछे कैसे दाम बढ़ा दिया, यह जनता मेरी है तू इन्हें भूखा मारना चाहता है। राजा ने व्यापारी को आदेश दिया कि तुम रोटी कल से आधे दाम में बेचोगे, नहीं तो तुम्हारा सर कलम कर दिया जाएगा।.........

राजा का आदेश सुनते ही पूरी जनता जोर-जोर से जयकारा लगाने लगी... महाराज की जय हो, महाराज की जय हो, महाराज की जय हो।........

नतीजा ये हुआ कि अगले दिन से 5 की रोटी 15 में बिकने लगी।

जनता खुश... व्यापारी खुश... और राजा भी खुश।

नोट: भारत के ज़रूरत से ज़्यादा होशियार और अक्लमंद लोगों से गुज़ारिश है कि इस कहानी को यदि आपलोग समझने की समझ विकसित कर लें तो देशहित में बेहतर हो सकता है।


Tuesday, December 6, 2022

ना चाही हमनीं के धरम-करम


______________________________


ना चाही हमनीं के धरम-करम 

ना मंदिर-मसजिद चाही रे 

हक मानवता प्यार अ इज्जत 

अब जनता के चाही रे! 


ना अच्छा लागें राम-लखन  

ना अच्छा किसन-मुरारी रे 

पेट के भूख बड़ी होखेले 

अल्लाह-ईसा से  प्यारी रे !


झूठ-मूठ सब वेद-पुरान 

गीता-कुरान-बाइबिल रे 

तोहनीं ई सब पैदा कइके 

भइला बड़का काबिल रे! 


एक तवा कै रोटी तोहनीं 

का मोटी का छोटी रे 

जनता के भरमा के तोहनीं 

काटत बाड़ा बोटी रे! 


जनता के मूरख बनवला 

रचला काबा - कासी रे 

अपने चपला दूध -भात

हमनीं के सब बासी रे! 


अब त जनता बूझ गइल बा 

बाड़ा बजर कसाई रे 

एक दिन होई जरूर इहां से

तोहनीं के विदाई रे!


कविRambachan Yadav (रामबचन यादव)