पदबंध की परिभाषा:-
जब एक या एक से अधिक पद मिलकर एक व्याकरणिक इकाई का कार्य करते हैं, उस बंधी हुई
इकाई को पदबंध कहते हैं। दूसरे शब्दों में एक या एक से अधिक पदों का समूह पदबंध
कहलाता है जो एक ही इकाई का कार्य करता है।
पदबंध के प्रकार को दो रूपों में बताया गया है-
1- रचना के आधार पर
2- प्रकार्य के आधार पर
1- प्रकार्य के आधार पर पदबंध के निम्न प्रकार हैं-
संज्ञा पदबंध, सर्वनाम पदबंध,
विशेषण पदबंध, क्रिया पदबंध, क्रियाविशेषण पदबंध।
1.1- संज्ञा पदबंध:-
जब एक से अधिक पद मिलकर संज्ञा का कार्य
करते हैं, तो उस पदबंध को संज्ञा पदबंध कहते हैं। संज्ञा पदबंध के शीर्ष में
संज्ञा होता है अन्य सभी उस पर आश्रित होते हैं।
जैसे- दीवार के पीछे खड़ा पेड़
गिर गया ।
1.2 - सर्वनाम पदबंध:-
जब एक से अधिक पद एक साथ जुड़कर सर्वनाम का कार्य करें तो उसे सर्वनाम पदबंध
कहते हैं। इसके शीर्ष में सर्वनाम होता है।
जैसे- भाग्य की मारी तुम अब
कहाँ जाओगी।
1.3- विशेषण पदबंध:-
जब एक से अधिक पद मिलकर संज्ञा की विशेषता प्रकट करें, उन्हें विशेषण पदबंध
कहते हैं। इसके शीर्ष में विशेषण होता है, अन्य पद
उस विशेषण पर आश्रित होते हैं।
जैसे- मुझे चार किलो पिसी हुई लाल
मिर्च ला दो ।
1.4 - क्रिया पदबंध:-
जब एक से अधिक क्रिया पद मिलकर एक इकाई के रूप में क्रिया का कार्य सम्पन्न
करते हैं, वे क्रिया पदबंध कहलाते हैं। इस पदबंध के शीर्ष में क्रिया होती है।
जैसे- वह पढ़कर सो गया।
1.5
- क्रियाविशेषण पदबंध:-
जो पदबंध क्रियाविशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें क्रियाविशेषण
पदबंध कहते हैं। इसमें क्रियाविशेषण शीर्ष पर होता है और प्रायः प्रविशेषण आश्रित
पद होते हैं।
जैसे- मै बहुत तेजी से दौड़कर
गया ।
2- रचना के
आधार पर पदबंध के प्रकार -
2.1- अन्तःकेंद्रिक पदबंध
2.2- वाह्यकेंद्रिक पदबंध
2.1 - अन्तःकेंद्रिक पदबंध:-
जिस पदबंध के
अंतर्गत कम से कम एक शीर्ष पद हो, वह अन्तःकेंद्रिक
पदबंध कहलाता है।
जैसे- गर्म चाय लाओ ।
चाय और काफी लाओ ।
2.1.1- सविशेषक (सुंदर लड़का)
2.1.2- समवर्गीय (गर्म चाय और काफी)
2.1.3- समानाधिकरण (प्रधानमंत्री, कुलपति, मुख्यमंत्री)
2.2 - वाह्यकेंद्रिक पदबंध:-
जो पदबंध अन्तःकेंद्रिक पदबंध नहीं होते हैं,
वे वाह्यकेंद्रिक पदबंध कहलाते हैं।
2.2.1- अक्ष-संबंधक (कमरे में, मेज पर)
2.2.2- गुंफित (खाया, खा रहा, खा चुका)
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