Saturday, July 27, 2019

प्रौद्योगिकी और भाषा प्रौद्योगिकी की संकल्पना



प्रौद्योगिकी:-
        चीजों अथवा कार्यों के बनाने अथवा करने का तरीका प्रौद्योगिकी है यह अर्थ दो संदर्भों में प्रयुक्त किया जाता है संकुचित अर्थ केवल औद्योगिकी प्रक्रियाओं से जुड़ा है विस्तृत अर्थ सभी पदार्थों के साथ होने वाली सभी प्रक्रियाओं से जुड़ा है। प्रौद्योगिकी का ज्ञान व्यवहारिक ज्ञान होता है, यही विज्ञान अथवा हस्तचालित कौशल कहा जा सकता है प्रौद्योगिकी का अर्थ है विशिष्ट सैधांतिक ज्ञान का व्यवहारिक ज्ञान में रूपांतरण प्रौद्योगिकी का शाब्दिक अर्थ कला अथवा हस्तकला है। अपने समस्त रूप में प्रौद्योगिकी वह साधन है जिसके माध्यम से मनुष्य अपने परिवेश पर अपना अधिकार रख सकता हैप्रौद्योगिकी, विज्ञान और अभियांत्रिक संबद्ध होती है। विज्ञान के माध्यम से दुनियां, अंतरिक्ष, पदार्थ, उर्जा आदि का वास्तविक ज्ञान मिलने में सहायता होती है अभियांत्रिक से तात्पर्य है- वस्तुनिष्ठ ज्ञान का उपयोग करके आयोगन अभिकल्पना और अपेक्षित वस्तुओं के अभिकल्पन माध्यमों का निर्माण करना, योजनाओं को परिचालित करने के लिए औजारों अथवा नयी तकनीकों का व्यवहार करना प्रौद्योगिकी है मनुष्य जीवन सुखमय बनाने में जितनी चीजों का उपयोग किया जाता है, वे सभी प्रौद्योगिकी के अंतर्गत आ सकते हैं जैसे- संगणक, विविध यन्त्र, आदि

प्रौद्योगिकी का इतिहास:-
                      (चक्र पहिया का आविष्कार ४००० ईसा पूर्व हुआ। यह संसार का सबसे अधिक उपयोगी प्रौद्योगिकी सिद्ध हुई है)
        प्रौद्योगिकी का इतिहास वस्तुत: उपयोगी वस्तुतों का निर्माण करने में प्रयुक्त उपकरणों एवं तकनीकों (tools and techniques) के खोज का इतिहास है। यह मानवता के इतिहास से कई अर्थों में समान है। प्रौद्योगिकी के इतिहास और विज्ञान के इतिहास में घनिष्ट सम्बन्ध है। प्रौद्योगिकी ने वैज्ञानिक शोधों (विशेषकर आधुनिक युग में) के लिये मार्ग बनाया है, तो वैज्ञानिक जानकारियों ने नयी प्रौद्योगिकी के विकास का रास्ता साफ किया है।
एक तरफ प्रौद्योगिकीय वस्तुएँ (Technological artifacts) अर्थव्यवस्था की उपज हैं, तो दूसरी तरफ वे आर्थिक प्रगति के साधन (कारक) भी हैं। प्रौद्योगिक नवाचार समाज के सांस्कृतिक परम्पराओं से प्रभावित होता है और इसे प्रभावित भी करता है। वैज्ञानिक नवाचार से सैनिक शक्ति के विकास में मदद मिलती है।

भाषाई तकनीकियाँ:-

·       Voice Control Systems
·       Dictation Systems
·       Text-to-Speech Systems
·       Machine Initiative Spoken Dialogue Systems
·       Identification and Verification Systems
·       Spoken Information Access
·       Mixed Initiative Spoken Dialogue Systems
·       Speech Translation Systems
·       Spell Checkers
·       Machine-Assisted Human Translation
·       Translation Memories
·       Indicative Machine Translation
·       Grammar Checkers
·       Information Extraction
·       Human Assisted Machine Translation
·       Report Generation
·       High Quality Text Translation
·       Text Generation Systems
·       Word-Based Information Retrieval
·       Summarization by Simple Condensation
·       Simple Statistical Categorization
·       Simple Automatic Hyper linking
·       Cross-Lingual Information Retrieval
·       Automatic Hyper linking With Disambiguation
·       Simple Information Extraction (Unary, Binary Relations)
·       Complex Information Extraction (Ternary+ Relations)
·       Dense Associative Hyper linking
·       Concept-Based Information Retrieval
·       Text Understanding
·       भाषण को समझना / भाषण से टेक्स्ट में परिवर्तन (Speech recognition)
·       भाषण की रचना (Speech synthesis)
·       टेक्स्ट का वर्गीकरण (Text categorization)
·       टेक्स्ट सारांशक (Text Summarization)
·       Text Indexing
·       Text Retrieval
·       सूचना निकालना (Information Extraction)
·       Data Fusion and Text Data Mining
·       जिज्ञासा समाधान (Question Answering)
·       रिपोर्ट सृजन (Report Generation)
  • Spoken Dialogue Systems

भाषा प्रौद्योगिकी की संकल्पना:-

            यूरोप में अंतरराष्ट्रीय लिपि होने से कंप्यूटर पर भाषा प्रचार-प्रसार अत्यंत तेजी के साथ हुआ भारतीय लोगों को कंप्यूटर पर आधारित पाने के लिए अंग्रेजी भाषा पर आधिकार पाना अनिवार्य हुआ था। भारत में भारतीय भाषाओं के परिप्रेक्ष्य में सूचना प्रौद्योगिकी को लागू करने के लिए लिपि की प्रमुख समस्या थी। भाषा प्रौद्योगिकी की संकल्पना का आविर्भाव केवल भारत में ही नहीं, विश्व के स्तर पर स्थापित हुआ अलग-अलग देश इसके लिए प्रयास कर रहे थे। भारत में भाषा प्रौद्योगिकी की पहल सन-1979 में डीओई(DOE) द्वारा आयोजित कंप्यूटर पर आधारित सूचना प्रोसेसिंग की भाषाई जटिलताएं नामक संगोष्ठी से की गई। भारतीय भाषा की किसी वेबसाईट को देखने के लिए हमें फॉन्ट को डाऊनलोड करते हुए कंप्यूटर में इंस्टाल करना पड़ता था। यूनिकोड के प्रयोग से फॉन्ट की समस्या से छुटकारा मिला एवं भारतीय भाषाओं में वेबसाईट और ब्लाक बनाने के लिए सहायता प्राप्त हुई।

संदर्भ ग्रंथ-





Wednesday, July 24, 2019

पदबंध की परिभाषा एवं प्रकार




पदबंध की परिभाषा:-
               जब एक या एक से अधिक पद मिलकर एक व्याकरणिक इकाई का कार्य करते हैं, उस बंधी हुई इकाई को पदबंध कहते हैं। दूसरे शब्दों में एक या एक से अधिक पदों का समूह पदबंध कहलाता है जो एक ही इकाई का कार्य करता है।
पदबंध के प्रकार को दो रूपों में बताया गया है-
1- रचना के आधार पर
2- प्रकार्य के आधार पर
1-  प्रकार्य के आधार पर पदबंध के निम्न प्रकार हैं-
संज्ञा पदबंध, सर्वनाम पदबंध, विशेषण पदबंध, क्रिया पदबंध, क्रियाविशेषण पदबंध।
1.1-  संज्ञा पदबंध:-
         जब एक से अधिक पद मिलकर संज्ञा का कार्य करते हैं, तो उस पदबंध को संज्ञा पदबंध कहते हैं। संज्ञा पदबंध के शीर्ष में संज्ञा होता है अन्य सभी उस पर आश्रित होते हैं।
जैसे- दीवार के पीछे खड़ा पेड़ गिर गया ।
1.2   - सर्वनाम पदबंध:-
          जब एक से अधिक पद एक साथ जुड़कर सर्वनाम का कार्य करें तो उसे सर्वनाम पदबंध कहते हैं। इसके शीर्ष में सर्वनाम होता है।
जैसे- भाग्य की मारी तुम अब कहाँ जाओगी।
1.3- विशेषण पदबंध:-
           जब एक से अधिक पद मिलकर संज्ञा की विशेषता प्रकट करें, उन्हें विशेषण पदबंध कहते हैं। इसके शीर्ष में विशेषण होता है, अन्य पद उस विशेषण पर आश्रित होते हैं।
जैसे- मुझे चार किलो पिसी हुई लाल मिर्च ला दो ।
1.4 - क्रिया पदबंध:-
           जब एक से अधिक क्रिया पद मिलकर एक इकाई के रूप में क्रिया का कार्य सम्पन्न करते हैं, वे क्रिया पदबंध कहलाते हैं। इस पदबंध के शीर्ष में क्रिया होती है।
जैसे- वह पढ़कर सो गया
1.5          - क्रियाविशेषण पदबंध:-
             जो पदबंध क्रियाविशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें क्रियाविशेषण पदबंध कहते हैं। इसमें क्रियाविशेषण शीर्ष पर होता है और प्रायः प्रविशेषण आश्रित पद होते हैं।
जैसे- मै बहुत तेजी से दौड़कर गया ।

2- रचना के आधार पर पदबंध के प्रकार -
2.1- अन्तःकेंद्रिक पदबंध
2.2- वाह्यकेंद्रिक पदबंध
2.1   - अन्तःकेंद्रिक पदबंध:-
      जिस पदबंध के अंतर्गत कम से कम एक शीर्ष पद हो, वह अन्तःकेंद्रिक पदबंध कहलाता है।
जैसे- गर्म चाय लाओ ।
चाय और काफी लाओ ।
2.1.1- सविशेषक (सुंदर लड़का)
2.1.2- समवर्गीय (गर्म चाय और काफी)
2.1.3- समानाधिकरण (प्रधानमंत्री, कुलपति, मुख्यमंत्री)       
2.2 - वाह्यकेंद्रिक पदबंध:-
            जो पदबंध अन्तःकेंद्रिक पदबंध नहीं होते हैं, वे वाह्यकेंद्रिक पदबंध कहलाते हैं।
2.2.1- अक्ष-संबंधक (कमरे में, मेज पर)
2.2.2- गुंफित (खाया, खा रहा, खा चुका)

Monday, July 22, 2019

स्वनविज्ञान एवं स्वनिमविज्ञान की परिभाषा और वर्गीकरण



स्वनविज्ञान (phonetics):-
                   किसी भी भाषा का आरंभ ध्वनियों से होता है। ध्वनि के  अभाव में किसी भी भाषा की कल्पना नहीं की जा सकती है। ध्वनि को ही आधुनिक भाषा वैज्ञानिक स्वन कहते हैं।
स्वनविज्ञान में ध्वनि/स्वन के तीन पक्ष दर्शाए गये हैं। औच्चारिकी, भौतिकी और श्रोतिकी ध्वनि के तीन पक्ष हैं। ध्वनि/स्वन के उच्चारण से लेकर श्रोता द्वारा ग्रहण करने की प्रक्रिया का अध्ययन किया जाता है। आगे स्वनविज्ञान के तीनों पक्षों का विवरण दिया गया है।






स्वनिमविज्ञान (Phonology):-
स्वनिम विज्ञान वह विज्ञान है जिसके अंतर्गत भाषा में प्रयुक्त स्वनिमों (ध्वनिग्रामों ) तथा उनसे संबंधित पूरी व्यवस्था का अध्ययन किया जाता है। स्वनिम तथा उपस्वन का निर्धारण, इनका वितरण आदि प्रक्रियाएं इसके अंतर्गत आती है। स्वनिम विज्ञान के अंतर्गत स्वनिमों की संकल्पना, स्वनिमों का वर्गीकरण, वितरण आदि का अध्ययन होता है।



·       स्वनिमों का वर्गीकरण खंडीय और खंडेत्तर दो आधारों पर किया जाता है।
1. खंडीय ध्वनियाँ 
2. खंडेत्तर ध्वनियाँ 

2. खंडेत्तर ध्वनियाँ.........
दाब / बलाघात (Stress):
         भाषा व्यवहार में किसी अक्षर पर कम या अधिक बल देना बलाघात को दर्शाता है। बलाघात पुरे शब्द या शब्द के किसी एक भाग पर भी हो सकता है।
उदाहरण के लिए अंग्रेजी के present’ शब्द को देखा जा सकता है, जिसके पहले अक्षर पर बलाघात होने पर present इसका अर्थ ‘उपहार’ और दूसरे अक्षर पर बलाघात होने पर present इसका अर्थ ‘प्रस्तुत करना होता है।
मात्रा (Length):-
        किसी ध्वनि /स्वन के उच्चारण में लगने वाले समयावधि को मात्रा कहते हैं। कुछ स्वनों के उच्चारण में कम तो कुछ के उच्चारण में अधिक समय लगता है। इसलिए इनको ह्र्श्व, दीर्घप्लुत तीन स्तरों पर बांटा  गया है।
1- ह्रस्व- अ, इ, उ
2- दीर्घ- आ, ई, ऊ
3- प्लुत- ओ३म , र३मेश
 तान / अनुतान या सुर (Tone / Intonation):-
              किसी वाक्य को बोलने पर ध्वनि तरंगों में उतार-चढ़ाव को तान या अनुतान कहते हैं।
इनका संबंध स्वरतंत्रियों से होता है। कंपन की अधिकता और कमी अथवा सामान्य स्थिति के आधार पर इनके उच्च, निम्न और सम तीन भेद किये जा सकते हैं।
कंपन में जब यह अंतर शब्द स्तर पर होता है तो उसे सुर और जब वाक्य स्तर पर होता है तो उसे अनुतान कहते हैं।
जैसे– तुम घर, अभी जाओगे  या तुम , घर अभी जाओगे।


संगम / संहिता (Juncture):-
               जब शब्द या वाक्य उच्चरित किये जाते हैं तो उनके दो अक्षरों के बीच सीमा को व्यक्त करने वाली इकाई को संहिता कहते हैं। यदि यह सीमा  स्पष्ट न हो तो किसी शब्द या वाक्य के अर्थ का अनर्थ होने की संभावना बनी रहती है।
जैसे- यह दवा पी ली है  -  यह दवा पीली है।
बंद रखा गया -  बंदर खा गया।
उसे रोको मत, मत जाने दो -  उसे रोको, मत जाने दो।