Sunday, January 26, 2020

डाटा, डाटाबेस, डाटाबेस प्रबंधन प्रणाली एवं डाटाबेस निर्माण



यह लेख उन सभी नए तथा पुराने यूजर्स के लिए है जिन्होंने इस डिजिटल दुनिया में Data का नाम तो कई बार सुना है तथा वे Data की अहमियत भी जानते हैं लेकिन Data क्या होता है उन्हें इस विषय पर पूर्ण एवं सटीक जानकारी नहीं है?
डाटा (Data) :-
  • कंप्यूटर में संग्रहित सूचना Data है। 
  • Data वह है जो कंप्यूटर की मेमोरी में कुछ स्थान घेरता है। 
  • Data वह है जिसे कंप्यूटर द्वारा संसाधित किया जाता है और User को Output प्रदान करता है। 
  • कंप्यूटर में प्रयोग की जाने वाली हर तरह की सामग्री Data है।

डाटा के प्रकार (Types of Data) :-
  • संख्यात्मक डाटा (Number Data)
  • अक्षर डाटा (Text Data)
  • चिन्हात्मक डाटा (Marked Data)
  • ऑडियो डाटा (Audio Data)
  • वीडियो डाटा (Video  Data)
  • आलेखीय डाटा (Graphical Data) etc.

Programming की दृष्टि से :-
DataTypes :-Number(Intejer/long, flor, double), Text(char, string), Collection(away, heap)
डाटाबेस (Database) :-
  • जिस स्थान पर हम Data को संग्रहित करते हैं, वह Database है। दूसरे शब्दों में Database वह स्थान या साँचा है जहाँ Data को व्यवस्थित रूप से संग्रहित किया जाता है। इसमें Data को इस तरह से संग्रहित किया जाता है कि Data का प्रयोग उसका रख-रखाव और अद्यतन(Update) सरलतापूर्वक किया जा सके।
  • A database is a collection of large amount of data as information. It should be organized so that it can easily be accessed, managed and updated.

डाटाबेस प्रबंधन (Database management) :- किसी Database में Data को व्यवस्थित रूप से रखने की कला ही Database management है।
डाटाबेस प्रबंधन प्रणाली (Database management System) :-
Data को व्यवस्थित रूप से रखने एवं उसका सरलतापूर्वक प्रयोग करने के लिए बनाए गए System या Software Database management System है। इन्हें संक्षेप में DBMS कहते हैं।
डाटाबेस प्रबंधन प्रणाली के प्रकार  (DBMS Types) :-
  • Relational Database management System
  • Distributed Database management System 
  • Cloud Database management System 
  • Object Oriented Database management System 
  • Grapes Database management System 

डाटाबेस निर्माण (Database creation) :-   
डेटा को सुसंबद्ध नियमों के आधार पर जब सूचनाओं के रूप में क्रमबद्ध रूप से संरचित किया जाता है तब डाटाबेस का निर्माण होता है। इसके लिए किसी न किसी डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। डेटा को व्यवस्थित रूप से एक विशिष्ट अधिक्रम में संग्रहित किया जाता है जिसे डाटा संग्रहण अधिक्रम कहा जाता है।
एक उदाहरण :-

संदर्भ सूची :-


Sunday, January 12, 2020

राष्ट्रीय युवा दिवस और स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानन्द(जन्म: 12 जनवरी, 1863 (१८६३) )- वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। विवेकानंद का वक्त सन 1857 की नाकाम क्रांति के बाद का अंधेरा दौर है। अंग्रेज़ों की देश पर पकड़ मज़बूत हो चुकी थी और भारत को लूटने का उनका अभियान पूरे ज़ोरों पर था। देश में ग़रीबीपस्ती और पराजय का माहौल था। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 (१८९३) में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें 2 मिनट का समय दिया गया था लेकिन उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत "मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनो" के साथ करने के लिये जाना जाता है। उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था। विवेकानंद जी के जन्मदिन को ही राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

हम सभी जानते हैं कि स्वामी विवेकानंद एक शक्तिशाली वक्ता थे। उनके भाषणों में श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने की ताकत थी। क्या उनकी सफलता का कोई राज़ था? हाँ, उनके जीवन के इन सुन्दर 11 प्रेरणादायक संदेशों को अपना कर आप भी सफल हो सकते हैं।

(1) प्रेम ही जीवन का एकमात्र नियम है:-
वह जो प्रेम करता है, जीवित रहता है और वह जो स्वार्थी है, मर रहा है। इसलिए प्रेम के लिए ही प्यार कीजिए, क्योंकि यह जीवन का नियम है। ठीक उसी तरह, जैसे आप जिन्दा रहने के लिए सांस लेते हैं।
(2) जीवन सुंदर है: पहले, इस दुनिया में विश्वास करें-
विश्वास करें कि यहाँ जो कुछ भी है उसके पीछे कोई अर्थ छुपा हुआ है। दुनिया में सब कुछ अच्छा है, पवित्र है और सुंदर भी है। यदि आप, कुछ बुरा देखते हो तब इसका मतलब है आप इसे पूर्ण रूप से समझ नहीं पाएं हैं। आप अपने ऊपर का सारा बोझ उतार फेंके।
(3) आप कैसा महसूस करतें हैं-
आप मसीह की तरह महसूस करें तो आप मसीह जैसा बनेंगें, आप बुद्ध की तरह महसूस करें तो आप बुद्ध जैसा बनेंगें। विचार ही जीवन है, यह शक्ति है और इसके बिना कोई बौद्धिक गतिविधि भगवान तक नहीं पहुँच सकती है।
(4) अपने आप को मुक्त करें-
जिस क्षण मैं यह अहसास करता हूँ कि भगवान् हर मानव शरीर के अन्दर है। उस पल में जिस किसी भी मनुष्य के सामने खड़ा होता हूँ तो मैं उसमें भगवान् पाता हूँ, उस पल में मैं बंधन से मुक्त हो जाता हूँ और सारे बंधन अद्रश्य हो जाते हैं और मैं मुक्त हो जाता हूँ।
(5) निंदा दोष का खेल मत खेलिए-
किसी पर भी आरोप, प्रति आरोप न करें। आप किसी की मदद के लिए हाथ बड़ा सकते हैं तो ऐसा अवश्य करें और उन्हें अपने-अपने रास्ते पर चलने दें।
(6) दूसरे की मदद करें-
यदि धन दूसरों के लिए अच्छा करने के लिए एक आदमी को मदद करता है, या कुछ मूल्य का है, लेकिन अगर नहीं, तो यह केवल बुराई की जड़ है, और जितनी जल्दी इससे छुटकारा मिल जाए, उतना अच्छा है।
(7) अपनी आत्मा को सुनो-
तुम अंदर से बाहर की ओर बढो। यह कोई तुम्हें सिखा नहीं सकता है, न ही कोई तुम्हें आध्यात्मिक बना सकता है। वहाँ कोई अन्य शिक्षक नहीं है, जो कुछ भी है आपकी खुद की आत्मा है।
(8) कुछ भी असंभव नहीं है-
ये कभी भी मत सोचो कि आत्मा के लिए कुछ भी असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा पाखण्ड है। यदि कोई पाप है, तो केवल यही पाप है- कि तुम कहते हो, तुम कमजोर हो या दूसरे कमजोर हैं।
(9) तुम में शक्ति है-
ब्रह्मांड में सभी शक्तियां पहले से ही हमारी हैं। यह हम हैं जो अपनी आंखों को हाथों से ढँक लेते हैं और बोलते हैं कि यहाँ अँधेरा है।
(10) सच्चे रहो-
सब कुछ सच के लिए बलिदान किया जा सकता है, लेकिन सत्य, सब कुछ के लिए बलिदान नहीं किया जा सकता है।
(11) अलग सोचो-
दुनिया में सारे मतभेद उनको विभिन्न नज़रिए से देखने की वज़ह से हैं, कहने का अर्थ हमें अपनी अनुभूतियों के कारण सब कुछ अलग-अलग दिखता है परन्तु सच में सारा कुछ एक में ही समाया हुआ है।

विवेकानंद को बहुत कम उम्र मिली। कुल 38 वर्ष। उनकी मृत्यु: ४ जुलाई, 1902 (१९०२) को हुई थी। वे देखने में बहुत मज़बूत कदकाठी के लगते थे लेकिन, जीवन के कष्टों ने उनके शरीर को जर्जर कर दिया था। उन्हें कम उम्र में ही मधुमेह हो गया था जिसने उनके गुर्दे ख़राब कर दिए थे। उन्हें सांस की भी बीमारी थी। इन्हीं बीमारियों ने उनकी असमय जान ली। बीमारियां, आर्थिक अभाव, उपेक्षा और अपमान झेलते हुए वे लगातार गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए अथक मेहनत करते रहे।

संदर्भ सूची:

Friday, January 10, 2020

हिंदी दिवस और विश्व हिंदी दिवस कब मनाते हैं


'हिंदी दिवस' और 'विश्व हिंदी दिवस'-
दुनिया भर में हिंदी (Hindi) के प्रचार-प्रसार के लिए पहला विश्‍व हिंदी सम्‍मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया था। विश्व हिंदी दिवस के इतिहास (World Hindi Day History) की बात की जाए तो साल 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के तौर पर मनाए जाने की घोषणा की थी। तभी से इसी दिन विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। बता दें कि हिंदी दिवस (Hindi Day) और विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Day) के बीच फर्क है। हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। वहीं, 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है क्योंकि 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी।


विश्व हिंदी दिवस को प्रति वर्ष मनाए जाने का उद्देश्य विश्व में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए जागरूकता पैदा करना तथा हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं।

प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी और 14 सितम्बर को हमारे देश में हजारों करोड़ों रुपये खर्च करके विभिन्न प्रकार के प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं, लेकिन असलियत यह है कि जिन लोगों के माध्यम से प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं और जो लोग हिंदी पर बड़े-बड़े भाषण देते हैं, उनके बच्चे खुद अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करते हैं और ऐसे लोग आमलोगों को अपने बच्चों को हिंदी मीडियम से पढ़ाने की सलाह देते हैं। ऐसे लोग हमारी हिंदी भाषा और हमारे समाज के लिए 'नाग मिसाइल' की तरह खतरनाक हैं। आप जाकर अपने आस-पास के गांवों और शहरों में देख सकते हैं कि असलियत क्या है? असलियत यह मिलेगी कि पिछले कुछ सालों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई कराने वाले स्कूलों की संख्या में जितनी तेजी से इजाफा हुआ है, उनके सामने हिंदी माध्यम के स्कूलों की हालत दिनों-दिन जर्जर होती जा रही है। अगर यही स्थिति रही तो आने वाले कुछ अर्धशतक वर्षों में हिंदी, स्कूलों में केवल एक विषय के रूप में और लोगों के बीच केवल बातचीत की भाषा बनकर रह जाएगी।
इस समय एक नई दुर्घटना यह हो रही है कि लोग लिख तो हिंदी ही रहे हैं, मगर देवनागरी लिपि में न लिखकर रोमन लिपि का प्रयोग कर रहे हैं, इस दुर्घटना को आप सोशल मीडिया पर अधिकतर देख सकते हैं। मेरे फेसबुक के मित्र सूची में फिलहाल 2137 मित्र हैं जिसमें केवल 95 मित्रों का नाम देवनागरी लिपि का प्रयोग करके लिखा गया है बाकी सभी दोस्तों ने अपना नाम रोमन लिपि में ही लिखा है। बातचीत में भी लगभग मेरे 95% मित्र हिंदी लिखने में रोमन लिपि का प्रयोग करते हैं, हिंदी भाषा के लिए यह बेहद विचारणीय मुद्दा है। आपलोग भी कॉमेंट करके बताएं कि आपका दृष्टिकोण क्या है और आपके कितने दोस्त हिंदी लेखन में देवनागरी लिपि का प्रयोग करते हैं?

अंततः आप सभी को विश्व हिंदी दिवस की ढेरों सारी शुभकामनाएँ.....


Wednesday, November 13, 2019

प्रोग्राम, प्रोग्रामिंग, प्रोग्रामिंग भाषा, एल्गोरिदम एवं फ़्लोचार्ट का संक्षिप्त परिचय


प्रोग्राम क्या है : 
1- किसी विशेष कार्य को संपन्न करने के लिए चरणबद्ध तरीके से दिया गया निर्देश जो उस कार्य का सही-सही आउटपुट दे/ प्रदर्शित करे प्रोग्राम है।


2- किसी उद्देश्य विशेष को प्रपट करने के लिए मशीन को क्रमबद्ध चरणों में दिए गए निर्देशों का समूह प्रोग्राम है।
  • उद्देश्य विशेष
  • मशीन 
  • क्रमबद्ध 
  • चरण 
  • निर्देश 
  • समूह।


प्रोग्रामिंग क्या है :
सामान्य जीवन में हम किसी कार्य विशेष को करने का निश्चय करते हैं तो उस कार्य को करने से पूर्व उसकी रूपरेखा सुनिश्चित की जाती है। कार्य से सम्बन्धित समस्त आवश्यक शर्तों का अनुपालन उचित प्रकार हो एवं कार्य में आने वाली बाधाओं पर विचार कर उनको दूर करने की प्रक्रिया भी रूप रेखा तैयार करते समय महत्वपूर्ण विचारणीय विषय होते हैं। कार्य के प्रारम्भ होने से कार्य के सम्पन्न होने तक के एक-एक चरण (step) पर पुनर्विचार करके रूपरेखा को अन्तिम रूप देकर उस कार्य विशेष को सम्पन्न किया जाता है। इसी प्रकार कम्प्यूटर द्वारा, उसकी क्षमता के अनुसार, वांछित कार्य कराये जा सकते हैं। इसके लिए आवश्यकता है कम्प्यूटर को एक निश्चित तकनीक व क्रम में निर्देश दिए जाने की, ताकि कम्प्यूटर द्वारा इन निर्देशों का अनुपालन कराकर वांछित कार्य को सम्पन्न किया जा सके। सामान्य बोल-चाल की भाषा में इसे प्रोग्रामिंग कहा जाता है ।
Instruct the computer”: this basically means that you provide the computer a set of instructions that are written in a language that the computer can understand. The instructions could be of various types.
Programming is coding, modeling, simulating or presenting the solution to a problem, by representing facts, data or information using pre-defined rules and semantics, on a computer or any other device for automation.
स्यूडोकोड : किसी प्रोग्राम को बनाया हुआ वह कोड जो किसी भाषा विशेष को ध्यान में रखकर न लिखा गया हो ।
प्रोग्रामिंग भाषा –
  • एक कृत्रिम भाषा होती है, जिसकी डिजाइन इस प्रकार की जाती है कि वह किसी काम के लिये आवश्यक विभिन्न संगणनाओ (computations) को अभिव्यक्त कर सके। प्रोग्रामिंग भाषाओं का प्रयोग विशेषतः संगणकों के साथ किया जाता है (किन्तु अन्य मशीनों पर भी प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग होता है)। प्रोग्रामिंग भाषाओं का प्रयोग हम प्रोग्राम लिखने के लिये, कलन विधियों को सही रूप व्यक्त करने के लिए, या मानव संचार के एक साधन के रूप में भी कर सकते हैं।
  • इस समय लगभग 2,500 प्रोग्रामिंग भाषाएं मौजूद हैं। पास्कल, बेसिक, फोर्ट्रान, सी, सी++, जावा, जावास्क्रिप्ट, पायथन, लिस्प आदि कुछ प्रोग्रामिंग भाषाएं हैं। 
  • प्रोग्रामिंग भाषा एक ऐसी भाषा जिसके माध्यम से कम्प्युटर को निर्देश दिए जाते हैं और प्रोग्रामों का विकास किया जाता है।

प्रोग्रामिंग भाषा के प्रकार –
(1) Procedural programming language एक ऐसी programming भाषाएँ हैं जिनके चरणों की शृंखला बनाते हुए प्रोग्राम निर्मित किए जाते हैं-
  • चरणों की शृंखला बनाना।
  • इसमें कथनों, आदेशों और प्रकार्यों का व्यवस्थित क्रम आवश्यक होता है।


Exa- C Language, C# Language etc.
(2) Functional programming languageऐसी programming भाषाएँ जिनमें प्रक्रिया के बजाय प्रकार्य को केंद्र में रखा जाता है, इसमें स्थिति में परिवर्तन पर ध्यान देने की जगह गणितीय प्रकार्यों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इनका प्रयोग अधिकतर व्यावसायिक (Commarcial) अनुप्रयोगों (Applications) में किया जाता है।
(3) Object oriented programming language – वह programming भाषा है जिसमें object को केंद्र में रखा जाता है।


एल्गोरिदम- किसी विशेष कार्य को सम्पन्न करने के लिए बनाए जाने वाले प्रोग्राम में दिए जाने वाले निर्देशों का मानव भाषा में क्रमबद्ध और संक्षिप्त संकलन एल्गोरिदम है । दूसरी भाषा में हम कह सकते हैं कि किसी कार्य विशेष को इस प्रकार से विश्लेषित करना कि वह कम्प्युटर के लिए ग्राह्य बन सके और कम्प्युटर उपलब्ध डेटा को प्रोग्राम में लेकर कार्य विशेष की समस्याओं का उचित हल प्रस्तुत कर सके।
दो सख्याओं में बड़ी संख्या का एल्गोरिदम :
Step1 = Start
Step2 = int a, b
Step3 =if a>b (if ‘true’ Go to ‘step4’, if ‘false’ Go to ‘step5’)
Step4 = Show a
Step5 = Show b
Step6 = Stop
फ़्लोचार्ट-  क्रमदर्शी आरेख या प्रवाह तालिका, वस्तुतः कालविधि का चित्रात्मक प्रदर्शन है। इसमें विभिन्न रेखाओं एवं आकृतियों का प्रयोग किया जाता है जो कि विभिन्न प्रकार के निर्देशों के लिए प्रयोग कि जाती है।


Thursday, October 10, 2019

भाषा के विविध रूप


मूल भाषा (Original Language): ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर विश्व की प्रत्येक भाषा का आधार कोई न कोई मूल भाषा मानी गई है भारोपीय मूल भाषा की कल्पना है इसका आधार यह माना गया है कि भारत और यूरोप के व्यक्ति मूल रूप से किसी एक स्थान पर रहते थे, बाद में वे इधर-उधर बिखरे। उनकी मूल भाष इसी विस्तार के साथ ही अनेक रूपों में आयी।
परिनिष्ठित या परिष्कृत भाषा (Standard Language): इसे स्तरीय, आदर्श या टकसाली भाषा भी कहते हैं। यह भाषा व्याकरण की दृष्टि से परिष्कृत होती है भाषा का व्याकरण इसी के आधार पर बनाया जाता है। साहित्यिक रचनाएँ, शासन, शिक्षा व शिक्षित वर्ग में इसका ही प्रयोग किया जाता है जैसे- हिंदी, फ्रेंच, अंग्रेजी आदि।
विभाषा (Dialect): परिनिष्ठित या आदर्श भाषा के अंतर्गत अनेक विभाषाएं होती हैं। विभाषाएं प्रायः स्थानीय भेद के आधार पर होती है; जैसे- राजस्थानी, गुजराती, मराठी आदि। भौगोलिक आधार पर एक भाषा की अनेक विभाषाएं होती हैं। 
बोली (Sub-Dialect): जो भाषाएँ प्रांतीय स्तर पर शासन द्वारा स्वीकृत हो जाती हैं और जिनमें प्रांतीय शासन का कार्य प्रचलित होता है, उनका स्तर उच्च हो जाता है और वे विभाषा की श्रेणी में आती हैं । इसके अतिरिक्त जो भाषाएँ प्रांतीय स्तर पर स्वीकृत न होकर मण्डल स्तर पर स्वीकृत रहती हैं उन भाषाओं को बोली के अंतर्गत रखा जाता है। जैसे- हिंदी की बोलियाँ ब्रज, अवधी, बुंदेली आदि।
व्यक्ति बोली (Idiolect): एक व्यक्ति की भाषा को व्यक्ति बोली कहते हैं। यह भाषा की सबसे छोटी इकाई है। प्रत्येक व्यक्ति की भाषा एक-दूसरे से भिन्न होती है। ध्वनि भेद, स्वर-भेद, सुर-भेद आदि आधारों पर एक-एक व्यक्ति की बोली पृथक पहचानी जाती है। इसी आधार पर किसी व्यक्ति के केवल ध्वनि को सुनकर उसे अंधेरे में भी पहचान लेते हैं।
अपभाषा (Slang): जिस भाषा में व्याकरण के नियमों की उपेक्षा, अमान्य वाक्य रचना, अशिष्ट शब्द-प्रयोग, अमान्य मुहावरों का प्रयोग आदि प्रयोग मिलते हैं, उसे अशिष्ट, असभ्य या अपरिष्कृत भाषा को अपभाषा का नाम दिया गया है।
विशिष्ट भाषा (Professional Language): विभिन्न व्यवसायों के आधार पर भाषा के अनेक रूप समाज में मिलते हैं; जैसे- किसान, मजदूर, लोहार, दर्जी आदि की अपने व्यवसाय के अनुसार अलग-अलग शब्दावली होती है। इसी प्रकार विभिन्न विषयों राजनीतिकशास्त्र, अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान आदि की अपनी विशिष्ट शब्दावली होती है। 
कूट भाषा  (Secret Language): इस भाषा में विशिष्ट शब्दों का विशेष अर्थों में होता है, जो उन शब्दों को जानता है वही उसका अर्थ समझ सकता है। इस प्रकार की भाषा का प्रयोग राजनीतिज्ञों, क्रांतिकारियों, चोरों और डाकुओं आदि में प्रचलित होता है। कहीं इसका उद्देश्य मनोरंजन और कहीं बात को छिपाना होता है। जैसे- इसको अमर कर दो(मार डालो), प्रसाद देना(जहर देना), खोखा ( बहुत ज्यादा पैसा की बात) आदि।
कृत्रिम भाषा (Artificial Language): डॉ. जमेन हाफ की बनाई एस्परेंतो भाषा विश्व में सबसे अधिक प्रसिद्ध है। कृत्रिम भाषा परंपरागत नहीं होती है। इसके प्रयोग करने वालों की संख्या 80 लाख से अधिक बताई जाती है। इसका प्रचलन विस्तृत जनसमाज में संभव नहीं है जिसके कुछ निम्न कारण हैं-
1. इसमें उच्च साहित्य का निर्माण संभव नहीं है। 2. इसमें हार्दिक मनोभावों का विवेचन या विश्लेषण संभव नहीं है। 3. इसमें गंभीर विषयों का विवेचन संभव नहीं है। 4. यह कामचलाऊ भाषा होती है ।


संदर्भ सूची :


Sunday, October 6, 2019

भाषा के प्रकार्य (Functions of Language)


उपादान            प्रकार्य
वक्ता    -  भिव्यक्तिपरक(संवेगात्मक): Emotive(Expressive)
श्रोता    -  निर्देशपरक(निर्देशात्मक): Cognitive(Receiver)
संदर्भ    - संकेतपरक(संदर्भपरक): Referential(Context)
संदेश   - काव्यपरक(काव्यात्मक):  Poetic(Message)
कोड    - र्कपरक(अधिभाषात्मक): Metalingual(Metalinguistic & Reflexive)
सरणि   - संपर्कपरक(संबंधात्मक): Phatic(Contact/Channel)- Hello, OK, Bye
  • संप्रेषण प्रक्रिया के अंतर्गत एक ओर वक्ता होता है जो संदेश भेजता है और दूसरी ओर श्रोता रहता है जो इस संदेश को ग्रहण करता है। वक्ता और श्रोता के इस संदेश की पृष्टभूमि में कोड रहता है। वक्ता अपने काव्य को संदेश का रूप देने के लिए इस कोड का सहारा लेता है । काव्य को संदेश रूप में बांधने की प्रक्रिया को कोडीकरण कहा जाता है। संदेश में निहित कथ्य को पाने की प्रक्रिया को विकोडीकरण कहा जाता है। संदेश का एक संदर्भ होता है। संदेश के प्रेषण के लिए वक्ता और श्रोता के बीच एक सरणि होती है। सरणि वस्तुतः वक्ता और श्रोता के बीच संबंध स्थापन हेतु होता है।


भाषा का प्रकार्यात्मक अध्ययन प्राग स्कूल (प्राग संप्रदाय) की देन है, जिसमें कार्य करने वाले भाषावैज्ञानिक ‘रोमन याकोब्सन’ और’ मार्टिने कर’ हैं। उन्हें प्रकार्यवादी भी कहा जाता है ।
इन्होंने भाषा के छः प्रकार्य माने हैं -
(1) वक्ता / अभिव्यक्तिपरक :संवेगात्मक (Emotive)= यह भाषा के उस व्यवहार से संबंधित है जो विषय वस्तु के प्रति वक्ता के अपने दृष्टिकोण या भाव को व्यक्त करता है विस्मयादिबोधक शब्द या भाषिक अभिव्यक्ति इसके अनर्गत आते हैं । 
(2) श्रोता / निर्देशपरक :निर्देशात्मक (Cognitive)= इसका संबंध श्रोता के साथ बंधा होता है व्याकरणिक संरचना की दृष्टि से संबोधनवाचक, प्रश्नवाचक, आज्ञासूचक व अनुरोध अभिव्यक्तियाँ इसके अंतर्गत आती हैं।
(3) संदर्भ / संकेतपरक :संदर्भपरक (Referential)= इसका संबंध विषय वस्तु के साथ रहता है। इस भाषिक प्रकार्य के आधार पर प्राप्त सूचना वाह्य ज्ञान के संदर्भ में सच या झूठ हो सकती है; उदाहरण के लिए उपन्यास या महाकाव्य आदि।
(4) संदेश / काव्यपरक :काव्यात्मक (Poetic)= इसका संबंध स्वयं संदेश की ओर मुड़ा हुआ होने के कारण अभिव्यक्ति की शैलीगत विशेषताओं से जुड़ा होता है। साहित्यिक रचना की दृष्टि से छंद, तुक, लय अथवा लाक्षणिक और व्यंजनापरक प्रयोग इसके उदाहरण हैं।
(5) सरणि / संपर्कपरक :संबंधात्मक (Phatic)= इसका संबंध वक्ता और श्रोता के बीच भौतिक या मांसिक संबंधों की वह सरणि बनाता है जिसका सहारा लेकर वे संप्रेषण व्यापार में बनें रहते हैं; जैसे- हेलो, हूँ, हाँ
(6) कोड / तर्कपरक :अधिभाषात्मक  (Metalinguistic)= इसे वैज्ञानिक या तर्कशास्त्री किसी विषय वस्तु विवेचना के समय उपकरण के रूप में अपनाता है। इस प्रकार का प्रयोग हम सामान्य भाषा में भी करते हैं- जब हम पूछते हैं इसका क्या अर्थ है? जो मैं कहना चाहता हूँ क्या तुम समझ गए?

संदर्भ सूची :