'हिंदी दिवस' और 'विश्व हिंदी दिवस'-
दुनिया भर में हिंदी (Hindi) के प्रचार-प्रसार के लिए
पहला विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया था। विश्व
हिंदी दिवस के इतिहास (World Hindi Day History) की बात की
जाए तो साल 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी को विश्व हिंदी
दिवस के तौर पर मनाए जाने की घोषणा की थी। तभी से इसी दिन ‘विश्व
हिंदी दिवस’ मनाया जाता है। बता दें कि हिंदी दिवस (Hindi
Day) और विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Day) के
बीच फर्क है। ‘हिंदी दिवस’ 14 सितंबर
को मनाया जाता है। वहीं, 10 जनवरी को ‘विश्व
हिंदी दिवस’ मनाया जाता है। हिंदी दिवस प्रत्येक वर्ष 14
सितम्बर को मनाया जाता है क्योंकि 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह
निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी।
‘विश्व हिंदी दिवस’ को प्रति वर्ष मनाए जाने का उद्देश्य
विश्व में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए जागरूकता पैदा करना तथा हिंदी को अंतरराष्ट्रीय
भाषा के रूप में पेश करना है। विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से
मनाते हैं।
प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी और 14 सितम्बर को हमारे देश में
हजारों करोड़ों रुपये खर्च करके विभिन्न प्रकार के प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं,
लेकिन असलियत यह है कि जिन लोगों के माध्यम से प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं और
जो लोग हिंदी पर बड़े-बड़े भाषण देते हैं, उनके बच्चे खुद अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई
करते हैं और ऐसे लोग आमलोगों को अपने बच्चों को हिंदी मीडियम से पढ़ाने की सलाह
देते हैं। ऐसे लोग हमारी हिंदी भाषा और हमारे समाज के लिए 'नाग मिसाइल' की तरह
खतरनाक हैं। आप जाकर अपने आस-पास के गांवों और शहरों में देख सकते हैं कि असलियत
क्या है? असलियत यह मिलेगी कि पिछले कुछ सालों में अंग्रेजी
माध्यम से पढ़ाई कराने वाले स्कूलों की संख्या में जितनी तेजी से इजाफा हुआ है,
उनके सामने हिंदी माध्यम के स्कूलों की हालत दिनों-दिन जर्जर होती
जा रही है। अगर यही स्थिति रही तो आने वाले कुछ अर्धशतक वर्षों में हिंदी, स्कूलों में केवल एक विषय के रूप में और लोगों के बीच केवल बातचीत की
भाषा बनकर रह जाएगी।
इस समय एक नई दुर्घटना यह हो रही है कि लोग लिख तो हिंदी
ही रहे हैं, मगर देवनागरी लिपि में न लिखकर रोमन लिपि का प्रयोग कर रहे हैं, इस दुर्घटना को आप सोशल मीडिया पर अधिकतर देख सकते हैं। मेरे फेसबुक के
मित्र सूची में फिलहाल 2137 मित्र हैं जिसमें केवल 95 मित्रों का नाम देवनागरी
लिपि का प्रयोग करके लिखा गया है बाकी सभी दोस्तों ने अपना नाम रोमन लिपि में ही
लिखा है। बातचीत में भी लगभग मेरे 95% मित्र हिंदी लिखने में रोमन लिपि का प्रयोग
करते हैं, हिंदी भाषा के लिए यह बेहद विचारणीय मुद्दा है। आपलोग
भी कॉमेंट करके बताएं कि आपका दृष्टिकोण क्या है और आपके कितने दोस्त हिंदी लेखन में
देवनागरी लिपि का प्रयोग करते हैं?
अंततः आप सभी को ‘विश्व हिंदी दिवस’ की ढेरों सारी शुभकामनाएँ.....
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