Wednesday, August 21, 2019

स्वर और व्यंजन की परिभाषा एवं वर्गीकरण

स्वर की परिभाषा (Definition of Vowel) :
    परंपरागत व्याकरण के अनुसार-
        पतंजलि- “स्वतो राजन्ते इति स्वराः” (जिन ध्वनियों का उच्चारण स्वतः होता है स्वर कहलाते हैं)       (अ, , , , , , , , , , , अं, अः, आँ)
      आधुनिक व्याकरण के अनुसार-
         जिन ध्वनियों के उच्चारण में मुखविवर में कहीं भी वायु का अवरोध न हो। (अ, , , , , , , , , , औ)
      (नोट- आधुनिक व्याकरण में ‘(ं)को अनुस्वार, ‘अःको विसर्ग एवं ‘(ँ)को अनुनासिक के अंतर्गत रखा गया है)
       आधुनिक व्याकरण के अनुसार 11 स्वर हैं। हिन्दी की सभी स्वर ध्वनियाँ आक्षरिक होती हैं।
पाणिनि- “एक मात्रो भवेद ह्रस्वो, द्विमात्रो दीर्घ उच्येत। त्रिमात्रस्तु प्लूतो सेयो, व्यंजन चार्ध मात्रकम्।” मात्रा की दृष्टि से पाणिनी ने स्वर के तीन प्रकार किए हैं- ह्रस्व, दीर्घ एवं प्लुत
    
Cambridge dictionary's definition:
        Ø  speech sound produced by humans when the breathflows out through the mouth without being blocked by the teethtongue, or lips.
Ø  A vowel is also a letter that represents a soundproduced in this way.

          
     कुछ Image..........



व्यंजन की परिभाषा (Definition of Consonant)
  परंपरागत व्याकरण के अनुसार-
        पतंजलि- “स्वतो राजन्ते इति स्वराः, अन्वग भवति व्यंजनमिति।” (जिन ध्वनियों का उच्चारण स्वतः नहीं होता है जो स्वर की सहायता से उच्चरित होते हैंव्यंजन कहलाते हैं)
  आधुनिक व्याकरण के अनुसार-
      जिन ध्वनियों के उच्चारण में मुखविवर में कहीं न कहीं वायु का अवरोध हो, वे व्यंजन कहलाते हैं।
     (नोट- आधुनिक व्याकरण में क्ष, त्र, ज्ञ एवं श्र को संयुक्त व्यंजनके अंतर्गत रखा गया है, जो इस प्रकार हैं- क्ष= क+ष, त्र= त+र, ज्ञ= ज+ञ, श्र= श+र, इसमें सभी 'हल' हैं) (दो नए व्यंजनों ड़, ढ़ को शामिल किया गया है) (आधुनिक व्याकरण के अनुसार 35 व्यंजन हैं)

Cambridge dictionary's definition:
Ø  One of the speech sounds or letters of the alphabet that is not a vowel. Consonants are pronounced by stopping the air from flowing easily through the mouth, especially by closing the lips or touching the teeth with the tongue.
Ø  A consonant is also a letter that represents a soundproduced in this way.

  
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 संदर्भ ग्रंथ:-
डॉ. अनिल कुमार पाण्डेय- हिंदी संरचना के विविध पक्ष 

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