Monday, August 5, 2019

भाषा प्रौद्योगिकी का भारतीय परिदृश्य




भाषा प्रौद्योगिकी का भारतीय परिदृश्य:-
                भाषा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मशीनी अनुवाद के इतिहास को देखा जाए तो इस क्षेत्र में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद कार्य का आरंभ किया गया। 1954 में आई.बी.एम. (International Business Machine : IBM), न्यूयार्क आई.बी.एम. द्वारा सिस्ट्रॉन (SYSTRAN) नामक मशीनी अनुवाद प्रणाली का प्रदर्शन किया गया, जो रसायनशास्त्र (Chemistry) के 49 रूसी वाक्यों को अंग्रेजी में अनुवाद करता था। जिसकी क्षमता 250 शब्दों और 6 व्याकरणिक नियमों का प्रयोग करना था। शब्दानुवाद के कारण इसमें कई अशुद्धियाँ थीं। इसलिए इसे ‘Toy’ सिस्टम कहा जाने लगा। भारत में भी मशीनी अनुवाद प्रणालियाँ, हिंदी वर्तनी जांचक, पिओएस (POS) टैगर, लिप्यान्तरण प्रणाली, हिंदी फोंट, फोंट कोड परिवर्तक, शब्द संसाधक, कार्पोरा, ट्रांसलिटरेशन, ओ. सी. आर., अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश, हिंदी स्पेल चेकर मशीनी अनुवाद प्रणालियाँ, पार्ट ऑफ़ स्पीच टैगर, रूपिम विश्लेषक के संबंध में कुछ विशेष संस्थानों द्वारा, जैसे- IIT कानपुर, सी-डैक पुणे, सी-डैक मुंबई, IIT मुंबई, IIIT हैद्राबाद, म.गां.अं. हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा कार्य किये गए हैं 
म.गां. अं. हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा वर्धा हिंदी शब्दकोश, सक्षम हिंदी वर्तनी परीक्षक (Hindi Spell Checker), समाजविज्ञान विश्वकोश आदि सोफ्टवेयर (http://www.hindivishwa.org) इस लिंक पर उपलब्ध हैं। यहाँ यूनिकोड से कृतिदेव से यूनिकोड लिपि परिवर्तक भी उपलब्ध है।
(म.गां.अं. हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में असिस्टेंट प्रो. डॉ. धन जी प्रसाद द्वारा किए जाने वाले कार्य) -
1. कुशल : हिंदी वर्तनी जाँचक (यूनिकोड हेतु) (KUSHAL : Hindi Spell Checker)
            विशेषताएँ : एक क्लिक में परीक्षणसीमित सुझावतीव्र गति।
2. हिंटै : संदर्भ-मुक्त पी.ओ.एस टैगर (HINTAI : Context-Free POS Tagger)
            विशेषताएँ : नियम आधारित,  हिंदी की प्रकृति के अनुरूप टैग।
3रूपविश्लेषक : रूपवैज्ञानिक रूप विश्लेषक (ROOPVISHLESHAK : Morphological Form Analyzer)
            विशेषताएँ : पाठ में आए शब्दों का विश्लेषण कर सूचनाएँ देना। 
4. रूपसर्जक : रूपवैज्ञानिक रूप प्रजनक (ROOPSARJAK : Morphological Form Generator)
            विशेषताएँ : इनपुट शब्द या डाटाबेस के सभी शब्दों के रूपों का निर्माण।
5. अन्वेषक : कोशीय इकाई (कोशिम) प्राप्तकर्ता (ANVESHAK : Lexical Entry (Lexeme) Finder)
            विशेषताएँ : किसी पाठ के सभी शब्दों के केवल कोशीय रूपों का संकलनप्रत्येक शब्द को एक बार और केवल अप्राप्त शब्दों को भी सुरक्षित करने की सुविधा।
6. अंतरक : देवनागरी रोमन लिप्यंतरण प्रणाली (ANTARAK : Devanagari Roman Transliteration System)
              विशेषताएँ : टंकित पाठ का देवनागरी रोमन में एक क्लिक में रूपांतरण
7. खोजी : संदर्भ में शब्द प्राप्तकर्ता (KHOJEE : Keyword in context Founder)
             विशेषताएँ : सभी भाषाओं के लिए वाक्य और शब्द दोनों को प्रस्तुत करने की व्यवस्थातीव्र गति।
8. शोधक : हिंदी पाठ मानककर्ता (SHODHAK : Hindi Text Standardizer)
             विशेषताएँ : पाठ के सभी अमानक शब्दों का एक क्लिक में मानकीकरण।
9. सामान्यक : विराम चिह्न सामान्यीकारक (SAMANYAK : Punctuation Mark Normalizer)
              विशेषताएँ : पाठ में हुई विराम चिह्न संबंधी त्रुटियों को एक क्लिक में तत्काल ठीक कर देना।
10. गणक : शब्द आवृत्ति गणक (GANAK : Word Frequency Counter)
             विशेषताएँ : एक या एक से अधिक पाठों में आए शब्दों को उनकी आवृत्ति के साथ प्रस्तुत करना।
11. कुशल : हिंदी वर्तनी जाँचक (KUSHAL : Hindi Spell Checker)  (यूनिकोड हेतु)         

(नोट- अधिक जानकारी के लिए इस लिंक  https://lgandlt.blogspot.com/2019/02/blog-post_6.html पर जाएँ)

भारत में प्राकृतिक भाषा संसाधन के क्षेत्र में कार्य करने वाले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और वहाँ किए गए कार्य इस प्रकार हैं-
 IIT कानपुर-  आंग्लभारती भाषा प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर 1999 में प्रो. आर. एम. के॰ सिन्हा द्वारा आंग्लभारती परियोजना आरंभ की गई। भारत में यंत्रानुवाद क्षेत्र में किया जाने वाला यह पहला कार्य था। आंग्लभारतीअंग्रेजी से भारतीय भाषाओं के लिए मशीनी अनुवाद प्रणाली का विकास कार्य शुरू किया गया। इसके बाद अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद आंग्लहिंदी(AnglaHindi) नामक सॉफ्टवेयर बनाया गया। अनुभारती हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए इसका विकास किया गया।
अनुसारका - ( ANUSAARAKA) - यह परियोजना प्रो. राजीव संगल के निर्देशन में प्रारंभ हुई जो तेलुगु, कन्नड़, पंजाबी, मराठी और बंग्ला से हिंदी में अनुवाद प्रणाली के विकास हेतु बनाई गई है। यह पाणिनि व्याकरण के सिद्धांतों का प्रयोग कर विकसित की गई है। जो http://ltrc.iiit.ac.in/showfile.php?filename=downloads/anu/index.htm इस वेबसाईट पर उपलब्ध है।
सी-डैक पुणे (C-DAC Pune) -  सी-डैक पुणे में प्रो. हेमंत दरबारी के निर्देशन में भाषा प्रौद्योगिकी से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। जिसमें मंत्रा’ (2007) नामक सोफ्टवेयर का विकास कार्य चल रहा है जो राजभाषा के प्रशासनिक, वित्तीय, कृषि, लघु उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, रक्षा, शिक्षा एवं बैंकिंग क्षेत्रों से संबंधित पत्र, अधिसूचना तथा विज्ञप्तियाँ आदि को अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद करता है।मंत्रराजभाषा भारत सरकार के सभी मंत्रालयों में मानक तथा शीघ्र गति से हिंदी अनुवाद में सहायक होगा। इसके साथ-साथ वाक् प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रवाचक’ (पाठ से वाक् प्रणाली) और वाचांतर’ (वाक् से पाठ प्रणाली) पर भी अनुसंधान कार्य शुरू है। हिंदी शिक्षण के लिए लीला पॅकेज ‘कंप्यूटर की सहायता से प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ स्तर की हिंदी सभी भारतीय भाषाओं के माध्यम से स्वयं सीखने के लिए राजभाषा विभाग ने कंप्यूटर प्रोग्राम (लीला हिंदी प्रबोध, लीला हिंदी प्रवीण, लीला हिंदी प्राज्ञ ) तैयार करवा कर सर्व साधारण द्वारा उसका निशुल्क प्रयोग के लिए उसे राजभाषा विभाग की वैब साइट पर उपलब्ध कर दिया है।
 सी-डैक मुंबई (C-DAC Mumbai) मुंबई में मात्रा (MATRA) अनुवाद प्रणाली का विकास 2004 में किया गया जो समाचारों, वार्षिक प्रतिवेदनों और तकनीकी पदबंधों के क्षेत्र में कार्य करने वाली यह प्रणाली अंग्रेजी पूर्वसर्गों का हिंदी परसर्गों में प्रतिचित्रण करती है। यह प्रणाली संस्था के साइट मात्रा 2 (MATRA) – यह अंग्रेजी-हिंदी स्वयंचलित मशीनी अनुवाद प्रणाली है।
 जो http://www.cdacmumbai.in/matra/ पर उपलब्ध है।
Xlit - यह लिप्यांतरण (Transliteration) के लिए बनाया गया उपकरण है जो अंग्रेजी के शब्दों को मराठी उर्दू, कन्नड़ और हिंदी भारतीय भाषाओं में लिप्यंतरित करता है। जो http://extensions.services.openoffice.org/project/xlithindi इस वेबसाईट पर उपलब्ध है।
STATMT यह सांख्यिकीय मशीनी अनुवाद (SMT) प्रणाली है जो अंग्रेजी से भारतीय भाषाओं के लिए बनाई गई है।
इससे संबंधित जानकारी http://www.cdacmumbai.in/e-ilmt. इस वेबसाईट पर उपलब्ध है।
SUTRA – यह मल्टीयूजर अनुवाद सहायक उपकरण है
 जो http://sourceforge.net/projects/sutra/. इस पर उपलब्ध है।
Rupantar यह किसी भी लिपि में लिखे गए सामग्री को दूसरी लिपि में रूपांतरित करता है जिसका हिंदी, मराठी, तेलगु, मलयालम, तमिल, गुरुमुखी, गुजराती, कन्नड़, उड़िया, बंगला इन भाषाओं के लिपि रूपांतर के लिए उपयोग किया जा सकता है।
यह उपकरण http://www.cdacmumbai.in/rupantar इस पर उपलब्ध है।
ChitranTran – यह किसी टेक्स्ट समग्री को प्रतिमा में रूपांतरित करने वाला लिप्यांतरण उपकरण है जो अंग्रेजी और हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के लिए बनाया गया है।
शब्दांजली ( Shabdanjali) - सी-डैक मुंबई ने शब्दांजली नामक अंग्रेजीहिंदी द्विभाषी शब्दकोश का विकास किया है जो http://www.cdacmumbai.in/matra/dict.jsp इस लिंक पर उपलब्ध है।
IIT मुंबई IIT मुंबई में हिंदी और मराठी के लिए शब्दतंत्र, अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश का विकास किया गया है।
IIIT हैद्राबाद  शक्ति’ (शक्ति-किट, 2005) यह अनुवाद प्रणाली अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, हैद्राबाद में विकास कार्य किया जा रहा है। जिसमें अंग्रेजी से हिंदी, मराठी और तेलुगु इस भारतीय भाषाओं से संबंधित कार्य किया जा रहा है। यह अनुवाद प्रणाली वेबसाइट http://shakti.iiit.net पर उपलब्ध है।
म.गां. अं. हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा वर्धा हिंदी शब्दकोश, सक्षम हिंदी वर्तनी परीक्षक (Hindi Spell Checker), समाजविज्ञान विश्वकोश आदि सोफ्टवेयर http://www.hindivishwa.org इस लिंक पर उपलब्ध हैं। यहाँ यूनिकोड से कृतिदेव से यूनिकोड लिपि परिवर्तक भी उपलब्ध है।
भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास (TDIL) – के वेबसाईट से 525 हिंदी फोंट, फोंट कोड परिवर्तक, वर्तनी संशोधक, शब्द संसाधक, कार्पोरा, ट्रांसलिटरेशन, ओ सी आर, अंग्रेजी -हिंदी शब्दकोश, हिंदी स्पेल चेकर को निशुल्क प्रयोग के लिए वेब साइट पर उपलब्ध करा दिया गया। इन्हें http://ildc.in से डाउनलोड किया जा सकता है। इसके साथ साथ मशीनी अनुवाद प्रणालियाँ, पार्ट ऑफ़ स्पीच टैगर, रूपिम विश्लेषक (Morphological Analyzer) भी उपलब्ध हैं।
TDIL के http://www.tdil-dc.in/components/com_mtsystem/CommonUI/homeMT.php इस वेबसाईट पर अंग्ला’ (Angla MT) और अनुवादक्ष’ (ANUVADAKSH) ये दो मशीनी अनुवाद प्रणालियाँ उपलब्ध हैं। जो अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, उर्दू, पंजाबी, तमिल, बंगाली, मलयालम, उड़िया, तेलुगु भाषाओं के लिए हैं। जिसका स्वास्थ्य, पर्यटन और सामान्य क्षेत्र के अनुवाद कार्य के लिए प्रयोग किया जाता है।
अंग्ला’ (Angla MT)- अंग्रेजी-बंगाली, अंग्रेजी-मलयालम, अंग्रेजी-उर्दू और अंग्रेजी-पंजाबी भाषाओं के लिए IIT कानपूर ने डॉ. आर. एम. के सिन्हा के निर्देशन में बनाया।
संपर्क’ (SAMPARK)- भारतीय भाषाएँ हिंदी-पंजाबी, पंजाबी-हिंदी, तेलगु-तमिल और उर्दू-हिंदी भाषा में अनुवाद करने के लिए यह अनुवाद प्रणाली उपलब्ध है। जिसको IIIT हैद्राबाद ने डॉ. राजीव सेंगल के निर्देशन में विकसित किया है।
अनुवादक्ष’ (ANVADAKSH) - यह मशीनी अनुवाद प्रणाली अंग्रेजी से भारतीय भाषा मशीन अनुवाद प्रणाली’ (E-ILMT) है। जिसमें अंग्रेजी-हिंदी, अंग्रेजी-मराठी, अंग्रेजी-बंगाली, अंग्रेजी-उड़िया और अंग्रेजी-तमिल इन भाषाओं के लिए प्रणाली उपलब्ध है। इसपर वर्तमान में आगे का विकास कार्य भारत के कई संस्थानों में चल रहा है।
संधान’ (Sandhan) - यह एकभाषी सर्च सिस्टम है, जो बंगाली, हिंदी, मराठी, तमिल और तेलगु भाषाओं में पर्यटन क्षेत्र की जानकारी की खोज के लिए बनाया गया है।
अनुबादोकAnubadok ) – अंग्रेजी से बँगला अनुवाद प्रणाली जिसमें कुछ सिमित शब्दों का ही अनुवाद करती है। http://bengalinux.sourceforge.net/cgi-bin/anubadok/index.pl इस पर ऑनलाइन उपलब्ध है।
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, दिल्ल्ली में संस्कृत अध्ययन केंद्रद्वारा संस्कृत-हिंदी अनुवाद के लिए सहित’ (SaHit) नामक प्रणाली का विकास किया जा रहा है।अनुवादक’ यह अनुवाद प्रणाली सुपर इंफोसॉफ्ट प्राईवेट लिमिटेड (Super Infosoft Pvt.Ltd.), दिल्ली द्वारा श्रीमती अंजली रावचौधरी के निर्देशन में विकसित अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद करने वाला अनुवादक 5.0 पश्च संपादन में सहायक है। इसके साथ-साथ एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की सर्वभाषिक संपर्क भाषा’ (UNL: Universal Networking Languages) नामक परियोजना पर भी काम किया जा रहा है। जिसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र संघके माध्यम से विश्व की अधिक से अधिक भाषाओं में संपर्क बढ़ाना है।
संगणकीय कोशकारिता: – कोशकारिता यह एक बहुत ही क्लिष्ट और परिश्रम वाला कार्य है। परिवर्तन भाषा विशेषता के कारण समय के साथ-साथ भाषा के प्रचलित शब्दों और अर्थो में निरंतर बदलाव होता रहता है। नए शब्दों का आगमन, शब्दों का लोप आदि के कारण पुराने कोशों अर्थात पुस्तकी कोश में समय-समय पर पुनः सुधार करना संभव नहीं है। इसलिए पुनः उन कोशों के नए संस्करण का निर्माण करना पड़ता है और यह बहुत समय लेने वाला, कठिन और श्रम वाला कार्य है। इसलिए आज कोशकारिता जैसी विषय को भी कंप्यूटर के साथ जोड़कर शब्दों में निरंतर होने वाले परिवर्तन, उसमें होने वाले लुप्त, नए शब्दों का गढ़ना आदि को समय-समय पर सुधार करने के लिए संगणकीय कोशकरीता’ (Computational Lexicography) जैसी संकल्पना ने जन्म लिया। जिससे आनेवाले समय में कम समय में शब्दों की खोज उनके अर्थ को जानने-समझने के लिए सरलता आ गई। इंटरनेट पर अंग्रेजी से भारतीय भाषाओं के लिए कई कोश ऑनलाइन उपलब्ध हैं जिसकी वेबसाईट नीचे दिए गए हैं -
(I) वर्डनेट(शब्दतंत्र) मराठी और हिंदी के लिए IIT मुंबई द्वारा विकसित हिंदी और मराठी वर्डनेट, हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश http://www.cfilt.iitb.ac.in/wordnet/webhwn/wn.php इस वेबसाईट पर उपलब्ध है।
(II)शब्दकोश.काम - http://www.shabdkosh.com/ इस वेबसाईट पर अंग्रेजी से हिंदी, मराठी, बंगला, गुजरती, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, तमिल, तेलगु आदि के लिए शब्दकोश उपलब्ध है।
(III) खंडबहाले शब्दकोश - http://www.khandbahale.org/ इस वेबसाईट पर अंग्रेजी से हिंदी, मराठी, संस्कृत, बंगला, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, तमिल, तेलगु, नेपाली, डोगरी, कोंकणी, बोडो, असमिया, मैथिली, संथाली, सिंधी, कश्मीरी, उर्दू, मणिपुरी, ओरिया आदि सभी भारतीय भाषाओं के लिए शब्दकोश उपलब्ध है।
(IV) ई-शब्दकोश. कॉम - http://www.eshabdakosh.com/ इस पर अंग्रेजी से मराठी शब्दकोश उपलब्ध है।
(V) हिंदी खोज शब्दकोश - http://dict.hinkhoj.com/ इस पर उपलब्ध है।
(VI) अंग्रेजी-हिंदी के लिए - http://hindi.changathi.com/Dictionary.aspx इस वेबसाइट पर शब्दकोश उपलब्ध है।
(VII) Solpro शब्दकोश - www.solpro.com पर ऑफ़लाइन शब्दकोश अंग्रेजी से हिंदी के लिए उपलब्ध है जो डाउनलोड किया जा सकता है ।
(VIII) offlinehindidictionary.com (मोबाईल अप्स) इसपर अंग्रेजी-हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश उपलब्ध है।
अन्य स्त्रोत (source) अन्य स्त्रोत जिनमें अंग्रेजी, हिंदी तथा एनी भाषाओँ से सबंधित उसके साहित्य, भाषाई व्याकरण आदि से संबंधित कई वेबसाइटस उपलब्ध है जिनको हम निम्न प्रकार से देख सकते हैं -
I.हिंदी सबके लिए’ http://hindiforyou.blogspot.in/2009/09/blog-post.html इस ब्लॉग पर व्याकरण, कोश, हिंदी शिक्षण पाठ्यसामग्री, हिंदी साहित्य तथा हिंदी से जुडी कई सामग्री उपलब्ध है।
II.हिंदी टेकयह भाषा-प्रौद्योगिकीसे संबंधित ऑनलाइन पत्रिका है, जहाँ इससे संबंधित आलेख, भाषाई उपकरण - POS टैगर, हिंदी वर्तनी जाँचक, हिंदी मानकीकरण टूल, बहुभाषिक शब्दकोश(अंग्रेजी-हिंदी-मराठी), चंकर आदि उपलब्ध हैं। जो http://hinditech.in/ पर उपलब्ध हैं।
III. क्विक समाधान नामक इस http://quicksamadhan.com वेबसाईट पर हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, तमिल, बंगाली, तेलुगु, गुजराती, पंजाबी, मलयालम, उर्दू, मैथिली, भोजपुरी, उडिया आदि भारतीय भाषाओं के व्याकरण से संबंधित जानकारी उपलब्ध है।
IV. हिंदी भाषा से संबंधित हिंदी समय (http://www.hindisamay.com/),http://learn-hindi-online.com/hindi-grammar/http://www.hindikunj.com , http://hindigrammarsite.blogspot.in आदि वेबसाइट उपलब्ध हैं।
V. अंग्रेजी भाषा व्याकरण से संबंधित http://www.verbix.com/webverbix/English/run.html , http://www.englishpage.com/ आदि वेबसाइट उपलब्ध हैं।
VI. मराठी भाषा से संबंधित http://mylanguages.org/learn_marathi.php,http://ilanguages.org/marathi.phphttp://www.marathidictionary.org/wordmeaning.php उपलब्ध हैं ।
VII. संस्कृत भाषा से संबंधित http://learnsanskrit.org/grammarhttp://www.sanskritebooks.org http://sanskrit.samskrutam.com/en.MainPage.ashx, आदि वेबसाईट उपलब्ध हैं ।
कुछ अन्य कार्य:-
                        भारत सरकार की नीति के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र का राजस्व रिकार्ड भारतीय भाषा में विकसित किया जा रहा है। लैंड रिकार्ड नामक महत्वाकांक्षी योजना में हिंदी भाषा का प्रयोग बढ़ने की संभावना है। आने वाले दिनों में उत्तर भारत का साधारण पटवारी लैंड रिकार्ड हिंदी में कंप्यूटर पर तुरंत प्रस्तुत करेगा।
कंप्यूटर में हिंदी प्रयोग की बढ़ती संभावनाओं को ध्यान में रखकर इलेक्ट्रानिकी विभाग ने "भारतीय भाषाओं के लिए टेक्नॉलॉजी विकास” नामक परियोजना के अंतर्गत कई प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। 
सूचना प्रौद्योगिकी के तहत मशीनी अनुवाद एवं लिप्यंतरण सहज एवं सरल हो गया है। सी-डैक पुणे ने सरकारी कार्यालयों के लिए अंग्रेज़ी-हिंदी में पारस्पारिक कार्यालयीन सामग्री का अनुवाद (निविदा सूचना, स्थानांतरण आदेश, गज़ट परिपत्र आदि) करने हेतु मशीन असिस्टेड ट्रांसलेशन "मंत्रा" पॅकेज विकसित किया है। हिंदी भाषा में वैबपेज विकसित करने हेतु "प्लग इन" ( Plug in ) पॅकेज तैयार किया है, जिससे कोई भी व्यक्ति/संस्था अपना वैबपेज हिंदी में प्रकाशित कर सकता है।
अब वर्तमान स्थिति में वैबसाइट पर हिंदी इलेक्ट्रॉनिक शब्दकोष उपलब्ध है। इसी तरह अंग्रेज़ी तथा भारतीय भाषाओं में पारस्पारिक अनुवाद प्राप्त करने की सुविधा भी उपलब्ध है। कन्नड हिंदी के बीच "अनुसारक" सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। हिंदी और दक्षिण भारतीय भाषाओं के बीच अनुवाद सॉफ्टवेयर का विकास आई.आई.टी. कानपुर तथा हैदराबाद विश्वविद्यालय में किया जा रहा है। अंग्रेज़ी हिंदी अनुवाद हेतु एम.सी.एस.टी. में समाचार-पत्रों एवं कहानियों के लिए तथा सी-डैक पुणे में प्रशासनिक सामग्री के लिए विशेष सॉफ्टवेयर विकसित किए गए हैं। सी-डैक पुणे द्वारा निर्मित लीप-ऑफ़िस सॉफ्टवेयर में अंग्रेज़ी हिंदी शब्दकोष, अनुवाद, समानार्थी शब्दकोष, हिंदी में ई-मेल आदि अंग्रेज़ी भाषा के समकक्ष सभी सुविधाओं को प्रस्तुत किया गया है।
भारत सरकार के नेशनल सेंटर फार सॉफ्टवेअर टेक्नॉलॉजी (NCST) ने सभी भारतीय भाषाओं की लिपि को कंप्यूटर पर स्थापित करने हेतु विशेष अभियान चलाया है।
 एन.आय.सी पुणे ने वारणानगर गोकुल दूध डेअरी परिसर हेतु कंप्यूटर पर मराठी भाषा को स्थापित किया है। इसके द्वारा ग्रामीण किसान व छात्र अपनी भाषा में कंप्यूटर के सहारे दैनंदिन कामकाज करने में सक्षम हो गए हैं। सूचना प्रौद्योगिकी में हिंदी भाषा का प्रचलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। माइक्रोसॉफ्ट, याहू, रेडिफ आदि विदेशी कंपनियों ने अपनी वैबसाइट पर हिंदी भाषा को स्थान दिया है। 
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार ने खार घर (नई मुंबई) स्थित छ: एकड़ भूमि में पच्चीस करोड़ राशि की लागत से भारतीय भाषाओं के सॉफ्टवेअर विकसित करने हेतु कार्य शुरू किया है। सी-डैक ने इंडबाज़ार डॉट कॉम ( Indbazaar.com) के सहयोग से हिंदी भाषा सीखने हेतु "लीला" नामक वैबसाइट उपलब्ध करवाई है। इस वैबसाइट के सहारे भारतीय भाषाओं की पढ़ाई ऑनलाइन मुफ़्त प्रदान की जा रही है। संस्कृत भाषा का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व ध्यान में रखते हुए सी-डैक ने चारों वेद एवं अन्य पौराणिक ग्रंथों को व्यास नामक वैबसाइट पर प्रकाशित किया है। रेडिफ, भारत मेल, जिस्ट मेल, अपना मेल, वी.एस.एन.एल., वैब दुनियां, जागरण आदि अनेक भारतीय एवं विदेशी साईट पर भी ई-मेल में हिंदी की सुविधा बहाल की गई है। सूचना प्रौद्योगिकी के आधुनिक उपकरणों का प्रसार आम जनता तक पहुँचाने हेतु सिम कंप्यूटर जैसे सस्ते उपकरण उपलब्ध करवाने हेतु सरकार प्रयत्नशील है।

संदर्भ -


2 comments:

  1. पहले पहल बेहतरीन कार्य के लिए आपको ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं । साथ ही साथ एक आग्रह भी है कि भाषा विज्ञान के सामान्य सिंद्धांतों पर भी अपनी बेहद जरूरी सनद प्रस्तुत कर हम पाठकों को लाभान्वित करें। धन्यवाद।

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  2. धन्यवाद भैया जी, धीरे-धीरे सभी पक्षों को समेटा जाएगा।

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