दिन पुरानका आई ना,
बचपन फेर भेटाई ना.
बीत गइल उ सोना रहे,
ये चाँदी से बदलाई ना.
सर संघतीया सभे छुटल,
होई कबो भरपाई ना.
बात बात में डीह बाबा के,
किरिया केहु खाई ना.
सोहर,झूमर,झारी,चइता,
नवका लोगवा गाई ना.
होई बीयाह बस नामे के,
केहू लोढ़ा से परीछाई ना.
आपन गावँ, आपन लोग,
इ टीस हिया से जाई ना.
शहर में केतनो रह लीं,
मन बाकिर अघाई ना.
-नूरैन अन्सारी
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