Sunday, October 2, 2022

मानक/आदर्श भोजपुरी के रूप (Form Standard Bhojpuri)

 



डॉ॰ ग्रियर्सन ने स्टैंडर्ड भोजपुरी कहा है वह प्रधानतया बिहार राज्य के आरा जिला और उत्तर प्रदेश के देवरिया, बलियागाजीपुर जिले के पूर्वी भाग और घाघरा (सरयू) एवं गंडक के दोआब में बोली जाती है। यह एक लंबें भूभाग में फैली हुई है। इसमें अनेक स्थानीय विशेताएँ पाई जाती हैं। जहाँ शाहाबादबलिया और गाजीपुर आदि दक्षिणी जिलों में "ड़" का प्रयोग किया जाता है वहाँ उत्तरी जिलों में "ट" का प्रयोग होता है। इस प्रकार उत्तरी आदर्श भोजपुरी में जहाँ "बाटे" का प्रयोग किया जाता है वहाँ दक्षिणी आदर्श भोजपुरी में "बाड़े" प्रयुक्त होता है। गोरखपुर की भोजपुरी में "मोहन घर में बाटें" कहते हैं परंतु बलिया में "मोहन घर में बाड़ें" बोला जाता है।

डॉ. लक्ष्मण प्रसाद सिन्हा ने –  मानक भोजपुरी के दो रूप माने हैं ।

क.  उत्तरी भोजपुरी देवरियागोरखपुर तथा बस्ती जिले में भोजपुरी का जो रूप प्रचलित है उसे उत्तरी भोजपुरी की संज्ञा दी गयी है। इसके दो रूप हैं। सम्पूर्ण देवरिया एवं गोरखपुर जिले के पूर्वी भाग में प्रचलित बोली को ‘गोरखपुरी’ कहा जाता है। उत्तरी भोजपुरी में ‘बा’ के ‘’ के योग से वर्तमानकालिक सहायक क्रिया की रूप रचना होती है ।

 

ख.  दक्षिणी भोजपुरी बिहार के भोजपुररोहताससारणसीवान एवं गोपालगंज तथा उत्तर-प्रदेश के बलिया तथा गाजीपुर (पूर्वी भाग) जिले में प्रचलित बोली को दक्षिणी भोजपुरी कहा गया है। दक्षिणी भोजपुरी में ‘बा’ के ‘’ के योग से वर्तमानकालिक सहायक क्रिया की रूपरचना होती है।


जौनपुरआजमगढ़बनारसगाजीपुर के पश्चिमी भाग और मिर्जापुर में बोली जाती है। आदर्श भोजपुरी और पश्चिमी भोजपुरी में बहुत अधिक अन्तर है। पश्चिमी भोजपुरी में आदर सूचक के लिए "तुँह" का प्रयोग दीख पड़ता है परंतु आदर्श भोजपुरी में इसके लिए "रउरा" प्रयुक्त होता है। संप्रदान कारक का परसर्ग (प्रत्यय) इन दोनों बोलियों में भिन्न-भिन्न पाया जाता है। आदर्श भोजपुरी में संप्रदान कारक का प्रत्यय "लागि" है परंतु वाराणसी की पश्चिमी भोजपुरी में इसके लिए "बदे" या "वास्ते" का प्रयोग होता है। 



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