Thursday, July 1, 2021

समास की परिभाषा और भेद

समास : समास का शाब्दिक अर्थ है संक्षेप या संक्षिप्तीकरण अर्थात छोटा रूप। दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने नए सार्थक शब्द को समास कहते हैं। समास रचना में दो पद होते हैंपहले पद को ‘पूर्वपद’ कहा जाता है और दूसरे पद को ‘उत्तरपद’ कहा जाता है। इन दोनों से जो नया शब्द बनता है वह ‘समस्त पद’ कहलाता है।

समास के भेद : मूलतः समास 6 प्रकार के होते हैं। (ट्रिक- अब तक दादा)

1. अव्ययीभाव समास (Adverbial Compound)

2. तत्पुरुष समास (Determinative Compound)

3. कर्मधराय समास (Appositional Compound)

4. द्विगु समास (Numeral Compound)

5. द्वन्द समास (Copulative Compound)

6. बहुव्रीहि समास (Attributive Compound)

प्रयोग की दृष्टि से समास के भेद :-

1. संयोगमूलक समास

2. आश्रयमूलक समास

3. वर्णनमूलक समास


 

अव्ययीभाव समास :- जिस समास का पहला पद प्रधान व अव्यय हो तो वह अव्ययीभाव समास कहलाता है। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो यदि एक शब्द की पुनरावृत्ति हो और दोनों शब्द मिलकर अव्यय की तरह प्रयोग हों वहाँ पर अव्ययीभाव समास होता है। शब्दों के पहले आ अनुप्रतिभरयथाउप आदि आता है।

 जैसे- आजीवन  = जीवन भरआमरण = मृत्यु तकआजन्म = जन्म से लेकरआकंठनिर्विवादनिर्विकारभरपेटबेशकखुबसूरतअनुरूप = रूप के अनुसारअनुकूल = मन के अनुसारअनुसार , उपकारप्रतिदिनप्रतिवर्षयथासंभव = संभावना के अनुसार , यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार , यथावतदिनोंदिनरातोंरातभागमभाग।

तत्पुरुष समास :- जिस समास का उत्तर पद(दूसरा पद) प्रधान और उन दोनों के बीच में कारक चिन्ह लुप्त हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। यह दो प्रकार का होता है।

1. समानाधिकरण तत्पुरुष समास           

2. व्यधिकरण तत्पुरुष समास (यह छः प्रकार का होता है जो निम्न हैं)-

      1. कर्म तत्पुरुष समास (चिन्ह को)(गृहागत = गृह को आगत, जनप्रिय = जन को प्रिय)

      2. करण तत्पुरुष समास (चिन्ह सेद्वारा)(तुलसीकृत = तुलसी द्वारा रचित, धनहीन = धन से हीन)

      3. सम्प्रदान तत्पुरुष समास (के लिए )(हथकड़ी = हाथ के लिए कड़ी, राहखर्च = राह के लिए खर्च)

      4. अपादान तत्पुरुष समास (से अलग)(रोगमुक्त = रोग से मुक्त, देशनिकाला = देश से निकाला)

    5. सम्बन्ध तत्पुरुष समास (का,के,की)(लोकतंत्र = लोक का तंत्रजलधारा = जल की धारा, पराधीन – पर के अधीन)

     6. अधिकरण तत्पुरुष समास (मेंपर )(दानवीर = दान देने में वीर, आत्मविश्वास = आत्मा पर विश्वास)



कर्मधारय समास :- जिस समास का उत्तर पद प्रधान होऔर पुएव व उत्तर पद में विशेषण और विशेष्य अथवा उपमेय व उपमान का संबंध हो तो वह कर्मधारय समास होता है।

 जैसे- चरणकमलमृगनयनमहाजनमहात्मागुरुदेवपकौड़ीलालमणिअधमराअधजला,सद्भावनासद्बुद्धिमंदबुद्धिदहीबड़ासुपुत्रकुपुत्र।

भेद :

 1. विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास : जैसे- नीलगाय पीताम्बर ।

 2. विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास,: जैसे- कुमारश्रमणा ।

 3. विशेषणोंमयपद कर्मधारय समास :जैसे- नील पीतसुनी अनसुनी।

 4. विशेष्योंमयपद कर्मधारय समास :जैसे- आमगाछव्यस्क दंपति।

उपभेद :

1. उपमान कर्मधारय समास :जैसे- विद्दुचंचला।

2. उपमित कर्मधारय समास :जैसे- नरसिंहअधर- पल्लव।

3. रूपक कर्मधारय समास :जैसे- मुखचन्द्र।

द्विगु समास :- जिस समास का पहला पद संख्या वाचकहो और उत्तर पद प्रधान हो, वह द्विगु समास कहलाता है। 

जैसे- चौराहाशताब्दी,सप्ताहदोपहरअष्टाध्याईतिराहा,त्रिफलाचौपालाचौमासापंशेरीअष्ट सिद्धि,तिमाहीछमाही,  त्रिकोणत्रिलोकसप्तसिंधुसप्तऋषि।

भेद :

1. समाहार द्विगु समास (जैसे- त्रिलोकपंचवटीत्रिभुवन )

2. उत्तर पद प्रधान द्विगु समास (जैसे- दुमातापंचप्रमाण)

द्वंद समास :- जिस समास के दोनों पद प्रधान हों और इनका विग्रह करने पर दोनों के बीच में और’ ‘अथवा’ ‘एवं’ ‘या’ का प्रयोग होता हो द्वंद समास कहलाता है। विपरीत भी होते हैं।

 जैसे- दिन-रातमाता-पिताआगे-पीछेदेश-विदेशधर्म-अधर्मसुख-दुःखरुपया-पैसाघास-पूसनर-नारीदाल-भातखट्टा-मीठाआज-कलचला-चलदाल-रोटीपचहत्तरइकहत्तर,शीतोष्णदेवासुर।

भेद :

1. इतरेतर द्वंद समास (दिन और रातअमीर और गरीब ,नर और नारी , ऋषि और मुनि , माता और पिता)

2. समाहार द्वंद समास (दाल और रोटीहाथ और पाँवआहार और निद्रा)

3. वैकल्पिक द्वंद समास (पुण्य या पापभला या बुराथोड़ा या बहुत)

बहुव्रीहि समास :- जिस समास का न तो ‘पहला पद’ प्रधान हो और न ही ‘दूसरा पद’ बल्कि इनको मिलाकर ‘तीसरे पद’ का निर्माण हो तो वह बहुव्रीहि समास कहलाता है।

जैसे- लम्बोदरनिशाचरबारहसिंगात्रिनेत्रदशाननअजातशत्रुपंकजगिरिधरप्रधानमंत्रीशुलपाणीचतुराननपंचवटीपंचाननवीणावाणीचक्रवाणी।

भेद :

1. समानाधिकरण बहुव्रीहि समास (जैसे- निर्धनजितेंद्रियाँनेकनाम)

2. व्यधिकरण बहुव्रीहि समास (जैसे- शूलपाणीवीणापाणी)

3. तुल्ययोग बहुव्रीहि समास (जैसे- सबलसदेहसपरिवार)

4. व्यतिहार बहुव्रीहि समास (जैसे- मुक्का-मुक्कीबाताबाती)

5. प्रादी बहुव्रीहि समास (जैसे- बेरहमनिर्जन)

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