Tuesday, November 29, 2022

नहीं बचेंगी बेटियां


अब मोमबत्तियां जलाने से 

नहीं बचेंगी बेटियाँ

अब अफ़सोस करने से

नहीं बचेंगी बेटियाँ

अब नारी देह पर  

प्रलाप करने से 

नहीं बचेंगी बेटियाँ

अब खुद को कोसने से 

नहीं बचेंगी बेटियाँ

अब नारा लगाने से 

नहीं बचेंगी बेटियाँ

अब विक्षिप्त मनोवृति के 

ग़ोश्तपिशाच नराधम 

कामुक पिपासुओं के 

लिंगध्वज को चौराहों पर 

सरेआम काटकर लटकाने से 

बचेंगी बेटियाँ !


कवि- मंजुल भारद्वाज

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