(तहजीब हाफी की तस्वीर)
(1) बिछड़कर उसका दिल लग भी गया तो क्या लगेगा,
वो थक जाएगा और गले से आ लगेगा।
मैं तुम्हारे मुश्किल में काम आऊं या न आऊं,
तुम आवाज जरूर
देना मुझे अच्छा लगेगा।।
(2) मुझसे मत पूछो उस शक्स में क्या अच्छा है,
अच्छे अच्छों से मुझे मेरा बुरा अच्छा
है।
किस तरह मुझसे कोई मोहब्बत
में जीत गया,
ये मत कह देना कि विस्तर में बड़ा अच्छा है।।
(3) ये कौन राह में बैठे हैं मुस्कुराते हैं,
मुसाफिरों को गलत
रास्ता बताते हैं,
तेरे लगाए हुए जख्म क्यों नहीं भरते,
मेरे लगाए हुए पेड़ सुख जाते हैं।
(4) मेरे बस में
नहीं, वरना कुदरत का लिखा हुआ काटता
तेरे हिस्से में आए बुरे दिन, कोई
दूसरा काटता
लारियों से ज्यादा बहाव था, तेरे हर एक लब्ज
में
मैं इशारा नहीं काट सकता, तेरी बात क्या काटता
मैंने भी ज़िन्दगी और सब-ए-हिज्र काटी है
सबकी तरह,
वैसे बेहतर तो ये था कि मैं कम से कम कुछ नया
काटता,
तेरे होते हुए मोमबत्ती बुझाई किसी और ने
क्या खुशी रह गई थी जन्मदिन की, मैं
केक क्या काटता,
कोई भी तो नहीं जो मेरे भूखे रहने पर नाराज हो,
जेल में तेरी तस्वीर होती तो, हंसकर सजा काटता।।
(5) किसे
खबर है कि उम्र बस इसपर गौर करने में कट रही है,
कि ये उदासी हमारी जिस्मों
पर किस खुशी में लिपट रही है,
अजीब दुःख है हम उसके होकर भी उसको छूने से डर रहे हैं,
अजीब दुःख है हमारे हिस्से की आग औरों
में बंट रही है,
मैं उसको हर रोज बस यही एक झूठ सुनने को फोन करता,
सुनों यहां कोई मसल्ला है तुम्हारी आवाज़ कट रही है।
(6) तेरा चुप रहना मेरे जेहन में क्या बैठ गया, तुझे इतनी आवाजें दी कि मेरा गला बैठ गया,
यूं नहीं है कि फकत मैं ही उसे चाहता हूं, जो भी उस पेड़ की छांव में गया बैठ गया,
इतना मीठा था वह गुस्से
भरा लहजा मत पूछ, उसने जिस जिस को जाने को कहा बैठ गया,
उसकी मर्जी वह जिसे
पास बिठा ले अपने, इसपे क्या लड़ना फ्लां मेरी जगह बैठ गया॥
(7) पलटकर आए तो सबसे पहले तुझे मिलेंगे, उसी
जगह पर जहां कई रास्ते मिलेंगे,
अगर कभी तेरे नाम पर जंग हो गई तो, हम ऐसे बुजदिल भी पहली
सफ़ में खड़े मिलेंगे,
हमें बदन और नसीब दोनों संवारने हैं, हम उसके माथे का प्यार लेकर गले मिलेंगे,
तू जिस तरह हमें चूमकर
देखता है हाफिज, हम एक दिन तेरे बाजुओं में मरे मिलेंगे।।
श्रोत : https://youtu.be/PEzjHmTbCp8
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