Sunday, May 14, 2023

माॅं जब हंसती है ( When mother laugh)

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माॅं जब हंसती है

माॅं जब हंसती है तो 

हंसती हैं कलियां 

गांव की गलियां 

हंसते हैं फूल 

खेत-खलिहान, हवा और उपवन

प्रकृति हंसती है!


माॅं जब हंसती है तो

हंसती हैं कलाएं

जीवन की आशाएं 

हंसते हैं सपनें 

ताज़े भाव-विचार और नेह के धागे

भाषा हंसती है!


माॅं जब हंसती है तो 

हंसते हैं सागर 

पानी भरी गागर 

हंसते हैं बादल

पहाड़, जंगल, नदियां और झरनें 

धरती हंसती है 


माॅं जब हंसती है तो 

हंसते हैं तारे 

नदी के किनारे

हंसते हैं कण-कण 

चांद, सूरज, ग्रह और नक्षत्र

ब्रह्मांड हंसता है!


  --© राम बचन यादव

         14/05/2023


वीडियो लिंक👉https://youtu.be/SXvOQga0HEQ